मुंबई, 28 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कांग्रेस, सही मायने में राहुल जम्मू-कश्मीर के लोगों के दर्द और दुविधा समझते हैं। अगर चुनाव में I.N.D.I.A. जीता तो यह हमारे (जम्मू-कश्मीर) लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने जैसा होगा। महबूबा ने ये बातें एक बुक भारत जोड़ो यात्रा, रीक्लेमिंग इंडियाज सोल की लॉन्चिंग के दौरान कही। इस बुक में निबंधों का संग्रह है। महबूबा ने ये भी कहा कि भारत के मूल विचार को बचाने का रास्ता जम्मू और कश्मीर से होकर जाता है, जो अपने आप में एक छोटा भारत है। जम्मू-कश्मीर में कई धर्म सदियों से शांतिपूर्वक तरीके से साथ में रह रहे हैं। महबूबा के मुताबिक, मैंने राहुल गांधी से कई बार बात की, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उनका बिल्कुल अलग पक्ष देखा। मुझे कई मुद्दों पर, चाहे नेशनल हो या इंटरनेशनल, उनकी जानकारियां पुख्ता दिखीं। मुझे आश्चर्य हुआ कि राहुल गांधी को गलत तरीके से एक अज्ञानी राजनेता के रूप में पेश करने की भाजपा का कितना पैसा और ऊर्जा खर्च हुई होगी। वहीं, महबूबा ने ये भी कहा कि सिविलियन क्षेत्रों से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट और सुरक्षा बल हटाए जाने चाहिए। जम्मू-कश्मीर के लोग लंबे समय से ये मांग कर रहे हैं। उम्मीद है कि सिविलियन क्षेत्रों से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट हटाए जाने को लेकर गृह मंत्री अमित शाह का बयान महज जुमला नहीं था।
मीडिया से बात करते हुए महबूबा मुफ्ती ने बताया की वो खुद भी चाहती हैं कि सिविलियन क्षेत्रों से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट रद्द हो जाए। सिविलियन क्षेत्रों से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट को हटाने के विचार पर उन्होंने कहा कि ‘देर आए दुरुस्त आए’। इसके अलावा उन्होंने कहा कि जब भी पीडीपी या मैं ये मांग उठाती थी तो हमें देशद्रोही करार दिया जाता था। यहां तक कि ये भी कहा जाता था कि हम (पीडीपी) सेना और देश के खिलाफ है। महबूबा ने आगे बातचीत में कहा कि अमित शाह ने यह फैसला इलेक्शन के समय लिया है, ये सिर्फ बयानबाजी बनकर तो नहीं रह जाएगी? जहां तक नागरिक इलाकों में सुरक्षा बलों या सिविलियन क्षेत्रों से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट को हटाने का सवाल है, पिछले कई वर्षों से जम्मू कश्मीर के लोग ये मांग कर रहे हैं। पीडीपी खुद सिविलियन क्षेत्रों से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट को हटाने के लिए कई बार कह चुकी है। पीडीपी प्रमुख ने जेल में बंद में जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए भी आवाज उठाई। उनका कहना है कि अगर सरकार जम्मू-कश्मीर के बच्चों को सच में राहत देना चाहती है तो उन्हें जेल से रिहा कर देना चाहिए। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि कितने पत्रकार जेल में है? उन सभी लोगों को रिहा कर देना चाहिए जो बेकसूर है या जिन पर कोई मुकदमा नहीं चलाया गया। यदि सरकार ये कर सकेगी, तभी हमें उनकी बातों पर भरोसा होगा, नहीं तो ये सब एक जुमला है।