मुंबई, 14 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए ऑपरेशन सिंदूर, कश्मीर रेल प्रोजेक्ट, विकास, लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे। 24 मिनट के इस भाषण में उन्होंने कहा कि इस साल देश ने आतंकवाद का दर्द झेला, पहलगाम हमला कायराना और अमानवीय था। इसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के तहत सेना ने सीमापार आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जो आत्मनिर्भर भारत मिशन की भी परीक्षा थी।
उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में रेल सेवा की शुरुआत एक बड़ी उपलब्धि है, जिससे व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। 55 करोड़ लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ मिल चुका है। उन्होंने भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए कहा कि हमारे लिए संविधान सर्वोपरि है। राष्ट्रपति ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को तकनीकी प्रगति का अगला चरण बताया और कहा कि सरकार ने इंडिया-AI मिशन के जरिए देश की एआई क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए हैं, जिससे भारत की जरूरतों के अनुरूप मॉडल विकसित हो रहे हैं। आर्थिक मोर्चे पर उन्होंने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में 6.5% की GDP वृद्धि दर के साथ भारत दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला देश है। महंगाई नियंत्रण में है, निर्यात बढ़ रहे हैं और अच्छे शासन के चलते बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है। आय और क्षेत्रीय असमानताएं घट रही हैं और जो राज्य पहले कमजोर प्रदर्शन के लिए जाने जाते थे, अब अपनी असली क्षमता दिखा रहे हैं।
संविधान के मूल्यों पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि न्याय, आजादी, समता और बंधुता लोकतंत्र के चार स्तंभ हैं, जिनमें व्यक्ति की गरिमा निहित है। उन्होंने विभाजन की पीड़ा को याद करते हुए कहा कि इसे कभी भुलाया नहीं जा सकता और विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर हम इतिहास की गलतियों के शिकार हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि 78 साल पहले 15 अगस्त के दिन भारत ने बलिदान के बल पर आजादी पाई थी। स्वतंत्रता के बाद सभी वयस्कों को मतदान का अधिकार मिला, जो कई अन्य लोकतांत्रिक देशों में सीमित था। उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बावजूद भारतीयों ने लोकतंत्र को पूरी तरह अपनाया है। उनके अनुसार 15 अगस्त हमारी सामूहिक स्मृति में गहराई से दर्ज है, जिसे पीढ़ियों ने आज़ादी के सपने के रूप में देखा और विदेशी शासन से मुक्ति के लिए संघर्ष किया।