मुंबई, 27 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि चंद्रयान से विक्रम लैंडर जब चांद की सतह पर उतरा, तो उसने करीब 2.06 टन लूनर एपिरेगोलिथ यानी चंद्रमा की धूल को उड़ाया था। इससे वहां एक शानदार इजेक्टा हेलो यानी चमकदार आभामंडल बन गया। लैंडिंग पॉइंट (शिव शक्ति बिंदु) पर उठा यह धूल का गुबार करीब 108.4 वर्ग मीटर के हिस्से में फैल गया था। इसरो ने X (पहले ट्विटर) पर एक डॉक्यूमेंट शेयर किया है, जिसमें कहा है कि साइंटिस्ट ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर हाई-रेजॉल्यूशन कैमरे से लैंडिंग के पहले और बाद की हाई-रिजॉल्यूशन पंचक्रोमैटिक इमेजरी की तुलना की। जिसमें यह इजेक्टा हेलो लैंडर के चारों ओर एक चमकीले पैच के रूप में दिखा।
आपको बता दें, 2008 में चंद्रयान-1 को लॉन्च किया गया था। इसमें एक प्रोब की क्रैश लैंडिंग कराई गई थी जिसमें चांद पर पानी के बारे में पता चला। फिर 2019 में चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंचा, लेकिन लैंड नहीं कर पाया। भारत के चंद्रयान-3 मिशन के जरिए चंद्रमा पर भेजा गया विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरा था। इसके बाद रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा के सतह पर तापमान, खनिज से जुड़ी जानकारियां भेजी थीं, साथ ही चांद पर सकुशल पहुंचने का संदेश भी भेजा था, जिसमे उसने कहा की, मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं।