मुंबई, 16 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि एडॉप्शन के बाद रेप विक्टिम के बच्चे का DNA टेस्ट कराना सही नहीं है। ऐसा करना बच्चे और उसके भविष्य के हित में नहीं है। जस्टिस जीए सनप की सिंगल बेंच ने 17 साल की लड़की से रेप करने के आरोपी को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की।पुलिस ने कोर्ट को बताया कि रेप के बाद लड़की प्रेग्नेंट हो गई थी। इस पर कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि क्या उसने बच्चे का DNA टेस्ट कराया था। इस पर पुलिस ने बताया कि डिलीवरी के बाद लड़की ने बच्चे को एडॉप्शन के लिए एक संस्था में दे दिया था। वहां से रेप पीड़ित के बच्चे को किसी ने गोद ले लिया। बच्चे को गोद लेने वाले माता-पिता के बारे में संस्था ने पुलिस को कोई जानकारी नहीं दी। हाईकोर्ट ने कहा कि संस्था का ऐसा करना बिल्कुल सही था। कोर्ट ने यह भी कहा, चूंकि बच्चे को गोद ले लिया गया है, इसलिए उस बच्चे का DNA टेस्ट उसके और उसके भविष्य के लिए ठीक नहीं हो सकता।
दरअसल, महाराष्ट्र की ओशिवारा पुलिस ने नाबालिग से रेप मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत 2020 में आरोपी को गिरफ्तार किया था। पीड़ित ने शिकायत में बताया था कि आरोपी ने उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए और उसे प्रेग्नेंट कर दिया। हालांकि आरोपी ने कोर्ट में दावा किया कि संबंध सहमति से बना था। कोर्ट ने आरोपी के दावे को मानने से इनकार कर दिया। जस्टिस सनप ने कहा, हम नहीं मान सकते कि पीड़ित की सहमति से दोनों के बीच संबंध बने थे। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा- पुलिस ने आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी, लेकिन स्पेशल कोर्ट ने अभी तक आरोप तय नहीं किए। आरोपी पिछले दो साल 10 महीने से जेल में बंद है। इसलिए उसे और जेल में नहीं रखना चाहिए।