पाकिस्तान ने रविवार, 23 मार्च को अपना राष्ट्रीय दिवस मनाया, जिसमें राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस्लामाबाद में आयोजित इस परेड में तीनों सशस्त्र बलों के जवानों ने भाग लिया, showcasing देश की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक धरोहर। अपने संबोधन में राष्ट्रपति जरदारी ने कश्मीर मुद्दे को उठाया और इसे दक्षिण एशिया में अस्थिरता का मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा, "हम भारत सरकार द्वारा कश्मीर में किए जा रहे मानवाधिकार उल्लंघनों की निंदा करते हैं और कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करते हैं।"
हालांकि, उनके भाषण के दौरान उनका कांपना दर्शकों और मीडिया का ध्यान आकर्षित कर गया। सोशल मीडिया पर इस घटना से जुड़े वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिसमें राष्ट्रपति जरदारी के अस्थिर अंदाज पर चर्चा हो रही है। यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी नेताओं ने भारत के खिलाफ कठोर बयान दिए हैं; इससे पहले प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भी इसी तरह की टिप्पणियां कर चुके हैं। पाकिस्तान दिवस 23 मार्च, 1940 को पारित लाहौर प्रस्ताव और 23 मार्च, 1956 को पाकिस्तान के पहले संविधान को अपनाने की याद में मनाया जाता है। लाहौर प्रस्ताव, जिसे मीनार-ए-पाकिस्तान में पारित किया गया था, में मुस्लिम बहुल प्रांतों को मिलाकर एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना की मांग की गई थी।
राष्ट्रपति जरदारी ने अपने भाषण में देश की राजनीतिक अस्थिरता पर चिंता व्यक्त की और सभी राजनीतिक दलों से मतभेदों को दूर कर देश की प्रगति के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "मैं सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं कि वे देश की भलाई के लिए एकजुट हों और राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त करें।" आतंकवाद के खतरे पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने पाकिस्तान को एक शांतिप्रिय और जिम्मेदार परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बताया, जो अपने सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध चाहता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की शांति की चाह को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।
हाल ही में, राष्ट्रपति जरदारी ने चीन की यात्रा के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकात की, जहां उन्होंने कश्मीर मुद्दे को उठाया और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा की। दोनों देशों ने संयुक्त प्रशिक्षण, अभ्यास और सैन्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के नेताओं द्वारा कश्मीर मुद्दे को बार-बार उठाना देश की आंतरिक चुनौतियों से ध्यान भटकाने का एक प्रयास हो सकता है। आर्थिक संकट, बढ़ती महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता के बीच, ऐसे बयान जनता का ध्यान घरेलू मुद्दों से हटाकर बाहरी मामलों की ओर मोड़ सकते हैं।
पाकिस्तान दिवस के इस अवसर पर, देशवासियों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, परेडों और समारोहों में भाग लिया, जिसमें पाकिस्तान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास को प्रदर्शित किया गया। हालांकि, राष्ट्रपति के भाषण के दौरान उनकी शारीरिक स्थिति और भारत के प्रति उनकी टिप्पणियों ने समारोह की गंभीरता को प्रभावित किया। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने पाकिस्तान के इन बयानों पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ देशों ने क्षेत्रीय शांति और संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया है, जबकि अन्य ने पाकिस्तान के आंतरिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी है। समाप्ति में, पाकिस्तान दिवस 2025 का यह समारोह देश की वर्तमान राजनीतिक और सामाजिक स्थिति का प्रतिबिंब था। राष्ट्रपति जरदारी के भाषण और उनकी शारीरिक स्थिति ने कई सवाल खड़े किए हैं, जिनका उत्तर आने वाले दिनों में स्पष्ट हो सकता है।