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भारत ने पाकिस्तानी नेताओं को उकसाऊ बयानबाजी से बाज आने की चेतावनी दी, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Thursday, August 14, 2025

मुंबई, 14 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारत ने पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं को सलाह दी है कि वे भारत के खिलाफ गैर-जिम्मेदार और भड़काऊ बयान देने से बचें। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि पाकिस्तानी नेता अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए बार-बार युद्ध जैसी बातें करते हैं, लेकिन उन्हें अपनी जुबान पर नियंत्रण रखना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पाकिस्तान ने कोई गलत कदम उठाया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। पिछले दो दिनों में सिंधु जल समझौते के निलंबन को लेकर पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत के खिलाफ धमकी भरे बयान दिए हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जायसवाल ने पाकिस्तान के आरोपों को खारिज किया और साफ किया कि सिंधु जल संधि भारत सरकार के फैसले से स्थगित की गई है, जो पाकिस्तान द्वारा पहलगाम हमले सहित सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के जवाब में उठाया गया कदम है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मध्यस्थता न्यायालय (Court of Arbitration) की न तो कानूनी हैसियत है और न ही वैध अधिकार कि वह इस मामले पर कोई निर्णय दे सके, इसलिए उसके फैसलों का भारत के जल उपयोग अधिकारों पर कोई असर नहीं होगा।

वार्ता के दौरान उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को गहरे रणनीतिक सहयोग, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और आपसी भरोसे पर आधारित बताते हुए कहा कि यह साझेदारी समय की चुनौतियों से गुजरकर और मजबूत हुई है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर के इस महीने के अंत में रूस दौरे की संभावना भी जताई गई, जहां वे भारत-रूस अंतर-सरकारी सत्र के 26वें संस्करण में भाग लेंगे। उन्होंने अलास्का में 15 अगस्त को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच प्रस्तावित बैठक का स्वागत किया और प्रधानमंत्री मोदी के इस विचार को दोहराया कि यह युद्ध का युग नहीं है। इसके अलावा भारत-चीन सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने के लिए चीनी पक्ष से बातचीत जारी है, जिसमें उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे और हिमाचल के शिपकी ला दर्रे से व्यापार बहाली की चर्चा शामिल है। अमेरिकी मानवाधिकार रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए जायसवाल ने इसे आरोपों, गलतबयानी और एकतरफा अनुमानों पर आधारित बताया, जो भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की वास्तविकता को नहीं दर्शाती। उन्होंने कहा कि भारत ऐसे पक्षपाती आकलनों को स्वीकार नहीं करता।


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