मुंबई, 19 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। संसद की 96 साल पुरानी इमारत में कार्यवाही का आज आखिरी दिन था। आजादी और संविधान को अपनाने की गवाह इस इमारत को विदाई देने पक्ष-विपक्ष के तमाम सांसद पहुंचे। सेंट्रल हॉल में अपने अनुभव साझा करते समय कुछ सांसद भावुक हुए, तो किसी ने इसे गौरव का पल कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद का सेंट्रल हॉल हमें भावुक भी करता है और कर्तव्य के लिए प्रेरित भी करता है। यहीं 1947 में अंग्रेजी हुकूमत ने सत्ता हस्तांतरण किया। बाद में संविधान ने भी यहीं आकार लिया। PM ने कहा, आज हम यहां से विदाई लेकर संसद के नए भवन में बैठने वाले हैं और ये बहुत शुभ है कि गणेश चतुर्थी के दिन वहां बैठ रहे हैं। आज नए संसद भवन में हम सब मिलकर, नए भविष्य का श्री गणेश करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन को संविधान सदन के नाम से बुलाने का प्रस्ताव रखा। सेंट्रल हॉल में मौजूद सांसदों ने मेज थपथपाकर इसकी सहमति दी। मोदी ने कहा, पुराने सदन की गरिमा कभी कम नहीं होनी चाहिए। संविधान सदन से हमारी प्रेरणा बनी रहेगी।
पीएम मोदी ने राज्यसभा में कहा कि हम सब के लिए आज का दिन यादगार है। हमें तय समय सीमा में लक्ष्यों को हासिल करना है क्योंकि जैसा मैंने पहले भी कहा था, देश ज्यादा प्रतीक्षा नहीं कर सकता। राज्यसभा में हमारे पास संख्या कम थी, लेकिन विश्वास था कि राज्यसभा दलगत सोच से ऊपर उठकर देश हित में अपने फैसले जरूर लेगी। उदार सोच की वजह से आज आपके सहयोग से हम कई ऐसे कठिन फैसले कर पाए और राज्यसभा की गरिमा को ऊपर उठाने का काम आगे बढ़ा। नया भवन अहम फैसले का साक्षी बन रहा है। लोकसभा में बिल पेश किया गया, वहां चर्चा के बाद यह बिल यहां भी आएगा। नारी सशक्तिकरण से जुड़ा यह बिल है। हमारा प्रयास रहा है कि राष्ट्र निर्माण में, अनेक सेक्टर हैं जिनमें महिलाओं की भूमिका सुनिश्चित की जा रही है। हमने सैनिक स्कूलों के दरवाजे बेटियों के लिए खोल दिए हैं। हम जितनी सुविधाएं देंगे, उतना ही हमारी बेटियां आगे बढ़ेंगीं। अटल जी ने कई प्रयास किया, लेकिन नंबर कम पड़ते थे। कुछ राजनीतिक विरोध भी था। अब नए सदन में हमने इस बिल को पेश कर नारी शक्ति में भागीदारी सुनिश्चित करने का कदम उठाया है। इसीलिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम संविधान संशोधन के रूप में लोकसभा में लाया गया। फिर इसे एक दो दिन में राज्यसभा में लाया जाएगा। सभी इस बिल को सर्वसम्मति से सहयोग दें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने महिला आरक्षण बिल पर चर्चा करते हुए कहा, दलित और पिछड़ी जाति की महिलाओं को वो मौका नहीं मिलता, जो बाकी सब को मिलता है। इस बात पर सत्ता पक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, देश की राष्ट्रपति कौन हैं। वे ट्राइबल समाज से आने वाली महिला हैं। जिस पार्टी के आप अध्यक्ष हैं, उसमें कई सालों तक एक महिला ही अध्यक्ष रही हैं। उन्होंने आगे कहा, मैं इस बिल का स्वागत करता हूं। यह बिल राज्यसभा में 2010 में पास हो चुका है। मैं कोशिश कर रहा था कि जो कानून बने, उसका लाभ गरीबों को, महिलाओं को मिले। मैं उनको प्रोत्साहित करने के लिए बोल रहा था, लेकिन वो बीच में बोलने लगे। आपके राज में फेडरल स्ट्रक्टर कमजोर हो रहा है। दोनों पक्षों को शांत करने के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, आज ऐतिहासिक दिन है। इसको हंगामे की भेंट न चढ़ाएं। यह मुद्दा बहुत जरूरी है, कई प्रयास हुआ, लेकिन यह बिल पास नहीं हो सका।