मुंबई, 10 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने 26 हफ्ते की प्रेग्नेंट महिला का अबॉर्शन रोकने का निर्देश दिया है। AIIMS के डॉक्टरों ने कोर्ट में बताया कि भ्रूण के पैदा होने की संभावना है। जिसके बाद कोर्ट ने डॉक्टरों को अबॉर्शन प्रोसेस रोकने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए बुधवार को एक नई बेंच का गठन किया जाएगा। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने बीते दिन हुई सुनवाई में शादीशुदा महिला की अनप्लान्ड प्रेग्नेंसी टर्मिनेट करने की इजाजत दे दी थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता महिला से कहा था कि वो आज AIIMS में भर्ती हो जाये और डॉक्टरों की सलाह लेकर जल्द से जल्द अबॉर्शन प्रोसेस पूरा करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर गर्भ में शिशु जीवित मिले तो डॉक्टरों की सलाह से उसे इन्क्यूबेशन में रख सकते हैं।
दरअसल, बीते दिन से पहले हुई सुनवाई में कोर्ट ने महिला के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए AIIMS की निगरानी में एक मेडिकल बोर्ड बनाने का आदेश दिया था। साथ ही याचिकाकर्ता के मुताबिक, वह दो बच्चों की मां है और पहले से ही पोस्टपार्टम डिप्रेशन से जूझ रही है। वह भावनात्मक, आर्थिक और मानसिक रूप से इस हालत में नहीं है कि तीसरा बच्चा पाल सके। बेंच ने कहा, कोर्ट याचिकाकर्ता के फैसले लेने के अधिकार को स्वीकार करता है। बेंच ने कहा कि हम मानते हैं कि अपने शरीर पर महिला का अधिकार है और अगर अनचाहे गर्भधारण से बच्चा इस दुनिया में आएगा, तो उसके लालन-पालन की बड़ी जिम्मेदारी याचिकाकर्ता के ऊपर ही आएगी। इस वक्त वह यह जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं है। वह साइकॉलोजिकल ट्रीटमेंट भी करा रही है। उसे अबॉर्शन की इजाजत दी जाती है। AIIMS के डॉक्टरों ने कोर्ट में बताया कि भ्रूण के पैदा होने की संभावना है। जिसके बाद कोर्ट ने डॉक्टरों को अबॉर्शन प्रोसेस रोकने का निर्देश दिया।