मुंबई, 20 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। संसद में स्पेशल सेशन के बीच नया विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि नई संसद के उद्घाटन के दौरान सांसदों को संविधान की जो कॉपी बांटी गई है, उसमें छपी प्रस्तावना से 'सेक्युलर' और 'सोशलिस्ट' शब्द हटा दिए गए हैं। इसके जवाब में सरकार ने कहा है कि संविधान की कॉपी में मूल संविधान की प्रस्तावना शामिल की गई है। जिसमें 'सेक्युलर' और 'सोशलिस्ट' शब्द नहीं थे। दरअसल, संविधान की प्रस्तावना में ये दोनों शब्द 1976 में 42वें संशोधन के जरिए शामिल किए गए थे।
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया है कि हम जानते हैं ये शब्द 1976 में एक संशोधन के बाद जोड़े गए थे, लेकिन अगर आज कोई हमें संविधान देता है और उसमें ये शब्द नहीं हैं, तो यह चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि BJP की मंशा संदिग्ध है। ये बड़ी चतुराई से किया गया है। यह मेरे लिए चिंता का विषय है। मैंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन मुझे इस मुद्दे को उठाने का मौका नहीं मिला। वहीं, अधीर रंजन के आरोपों पर कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा, जब संविधान अस्तित्व में आया, तब समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द नहीं थे। ये शब्द संविधान के 42वें संशोधन में जोड़े गए।
वहीं, दैनिक भास्कर की छानबीन में सामने आया है कि जो कॉपी सांसदों को दी गई है उसमें ओरिजिनल प्रस्तावना और संशोधित प्रस्तावना दोनों शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक पहले पन्ने पर ओरिजिनल प्रस्तावना है जबकि दूसरे पन्ने पर संशोधित प्रस्तावना भी है। अधीर रंजन का दावा पुख्ता नहीं है क्योंकि उन्होंने पूरी बात नहीं बताई। हालांकि पुरानी प्रस्तावना क्यों रखी गई है ये भी स्पष्ट नहीं है। दरअसल, संसद के विशेष सत्र में कामकाज 19 सितंबर से शुरू हुआ। उसी दिन सभी सांसदों को पुरानी बिल्डिंग से नई बिल्डिंग ले जाया गया थी। तभी, सांसदों को संविधान की यह कॉपी भी दी गई थी।