मध्य पूर्व एक बार फिर तेज़ तनाव की आग में झुलस रहा है। इजरायल और ईरान के बीच चल रहे टकराव ने नया मोड़ ले लिया है, जब इजरायली डिफेंस फोर्सेस (IDF) ने ईरान के बुशहर बंदरगाह को निशाना बनाकर जोरदार हमला किया। इस हमले में बंदरगाह पर भीषण आग लग गई और आसमान में धुएं का घना गुबार छा गया। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब कुछ ही दिन पहले इजरायल ने तेहरान और नतांज के न्यूक्लियर ठिकानों पर भी हमला किया था।
बुशहर पोर्ट पर इजरायल की मिसाइल स्ट्राइक
हमले के बाद सोशल मीडिया पर जो वीडियो सामने आया है, उसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि एक विशालकाय शिप से काले धुएं के गुबार उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि इजरायल ने एक सटीक मिसाइल हमले के ज़रिए बंदरगाह पर मौजूद शिपिंग यार्ड और गोदामों को टारगेट किया। इससे वहां भीषण आग लग गई और व्यापक तबाही हुई।
इस हमले में कई जहाज क्षतिग्रस्त हुए हैं और प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, दर्जनों लोगों के हताहत होने की आशंका है। हालांकि ईरानी सरकार की ओर से इस हमले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
बुशहर बंदरगाह का सामरिक महत्व
बुशहर पोर्ट ईरान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में स्थित है और यह ईरान का एक प्रमुख वाणिज्यिक व सामरिक बंदरगाह है। यह पोर्ट अरब सागर के पास स्थित है और ईरान के तेल और प्राकृतिक गैस के निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके पास ही बुशहर न्यूक्लियर पावर प्लांट भी मौजूद है, जो ईरान की न्यूक्लियर नीति का अहम हिस्सा है।
यह पोर्ट तेहरान से लगभग 1,218 किलोमीटर दक्षिण में है और इसका सीधा संपर्क ईरान की थलसेना व नौसेना से है। इजरायल के इस हमले को रणनीतिक रूप से एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
तेहरान और तबरीज पर भी हमले
इससे पहले इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान और तबरीज शहर में भी एयरस्ट्राइक की थी। इन हमलों में ईरानी सैन्य ठिकानों, सरकारी इमारतों और खुफिया मुख्यालय को निशाना बनाया गया। इजरायली मीडिया के मुताबिक, इन हमलों में 20 से अधिक ईरानी कमांडर मारे गए हैं।
ईरानी सेना ने अब तक इन हमलों की पुष्टि नहीं की है, लेकिन राजधानी में हुई हलचल और इंटरनेट सेवा बंद होने की खबरें इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि देश आंतरिक रूप से बड़े खतरे की स्थिति में है।
पृष्ठभूमि: कैसे शुरू हुआ यह टकराव?
ईरान और इजरायल के बीच पुराना शत्रुतापूर्ण संबंध अब खुलकर सैन्य संघर्ष में बदलता नजर आ रहा है। बीते कुछ महीनों में इजरायल ने ईरानी प्रॉक्सी मिलिशिया समूहों पर हमले किए, वहीं ईरान ने सीरिया और इराक के रास्ते इजरायल के खिलाफ रॉकेट और ड्रोन हमले तेज़ कर दिए थे।
इसके जवाब में इजरायल ने सीधे ईरान के भीतर सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। नतांज और तेहरान के बाद अब बुशहर पर हमला इस बात का संकेत है कि इजरायल अब ईरान के "हार्टलैंड" को टारगेट कर रहा है।
तनाव का असर: अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, रूस, और चीन ने स्थिति पर नजर बनाए रखने की बात कही है। अमेरिका ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है, जबकि रूस ने इजरायल के हमलों की कड़ी निंदा की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हालात नहीं संभाले गए, तो यह विवाद एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध में तब्दील हो सकता है, जिसका असर तेल की कीमतों, वैश्विक अर्थव्यवस्था और शरणार्थी संकट पर पड़ सकता है।
क्या अब युद्ध तय है?
बुशहर बंदरगाह पर सीधा हमला और लगातार हो रही एयरस्ट्राइक्स इस बात का साफ संकेत है कि अब दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष का सीधा चरण शुरू हो चुका है। जहां ईरान इसे अपनी संप्रभुता पर हमला मानता है, वहीं इजरायल का कहना है कि ये सभी हमले "सेल्फ डिफेंस" यानी आत्मरक्षा के तहत किए गए हैं।
अब यह देखना अहम होगा कि ईरान इस हमले का कैसे जवाब देता है। क्या वह सीधे इजरायल पर हमला करेगा? या फिर किसी तीसरे देश के जरिए अप्रत्यक्ष युद्ध छेड़ेगा? अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता भी यही है कि यह युद्ध पूरे मध्य पूर्व को अस्थिर कर सकता है।
निष्कर्ष
बुशहर पोर्ट पर इजरायल का हमला सिर्फ एक बंदरगाह पर स्ट्राइक नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा संदेश है – कि अब इजरायल रक्षात्मक नहीं, आक्रामक रणनीति अपनाने को तैयार है। ईरान की प्रतिक्रिया क्या होगी, यह आने वाले कुछ घंटों और दिनों में तय होगा। लेकिन इतना तय है कि आने वाला समय शांति की नहीं, युद्ध की आशंका से भरा रहेगा।
"शांति की एक रात, युद्ध के सौ दिनों से बेहतर होती है – पर क्या अब वह रात मुमकिन है?