प्रयागराज न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश में पहली बार आयोजित की जा रही असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा सेवा चयन आयोग ने हाईटेक इंतज़ाम किए हैं। 16 और 17 अप्रैल को होने वाली परीक्षा में नकल और फर्जी परीक्षार्थियों पर नज़र रखने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), थंब इंप्रेशन और आइरिस स्कैनिंग का इस्तेमाल किया जाएगा। रविवार को सीमैट परिसर में आयोग की अध्यक्ष प्रो. कीर्ति पांडेय की अगुवाई में छह मंडलों के विशेष प्रेक्षकों और पर्यवेक्षकों की बैठक हुई, जिसमें इस पूरी व्यवस्था की जानकारी दी गई।
आयोग के सचिव और परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि केंद्रों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की पहचान के लिए AI का हर स्तर पर इस्तेमाल होगा। परीक्षा को प्रभावित करने की साजिशों पर नज़र रखने के लिए एसटीएफ भी सक्रिय रहेगी। आयोग ने चेतावनी दी है कि नकल, प्रश्नपत्र लीक या अन्य अनुचित गतिविधियों पर उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) अधिनियम, 2024 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें एक करोड़ रुपये तक जुर्माना और आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान है।
प्रयागराज, आगरा, मेरठ, लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी में दो पालियों में आयोजित होने वाली इस परीक्षा के लिए 85 हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों ने पंजीकरण कराया है। परीक्षा 33 विषयों में 910 पदों के लिए होगी। इस बीच गाजीपुर के राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. विकास सिंह को आयोग में नया उप सचिव नियुक्त किया गया है। तीन साल के कार्यकाल के लिए हुई यह नियुक्ति आयोग में प्रशासनिक मजबूती लाने की दिशा में एक और कदम मानी जा रही है।