अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा बयान ने भारत, रूस और अमेरिका के त्रिकोणीय संबंधों को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। ट्रंप ने एक इंटरव्यू में दावा किया कि "रूस ने भारत जैसा बड़ा तेल ग्राहक खो दिया है", जो पहले रूस से 40% तक तेल खरीदता था। यह बयान ऐसे समय में आया है जब वे अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने जा रहे थे। हालांकि भारत इस मामले में पहले ही अपना पक्ष स्पष्ट कर चुका है कि वह रूस से कच्चे तेल की खरीद निरंतर कर रहा है।
ट्रंप का बयान: कब और कैसे आया?
डोनाल्ड ट्रंप ने यह बयान फॉक्स न्यूज को दिए गए एक इंटरव्यू में दिया, जब उनसे पूछा गया कि पुतिन के साथ उनकी बैठक में किन प्रमुख मुद्दों पर बातचीत होगी।
इसके जवाब में ट्रंप ने कहा:
“रूस ने भारत को खो दिया है। भारत पहले उसका सबसे बड़ा ग्राहक था, जो 40% तेल वहीं से लेता था। अब वो खत्म हो गया है।”
यह बयान तब आया जब वह अमेरिका के अलास्का में पुतिन से मिलने जा रहे थे, जहां दोनों नेताओं की बैठक करीब 180 मिनट तक चली।
भारत की स्थिति: क्या हम रूस से अब तेल नहीं खरीद रहे?
यह दावा तथ्यों से मेल नहीं खाता। ट्रंप ने भले ही कहा हो कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है, लेकिन ताजा आँकड़े इससे बिल्कुल उल्टा संकेत देते हैं।
केप्लर (Kpler) नामक एक ऊर्जा विश्लेषण फर्म की रिपोर्ट के अनुसार:
यह साफ संकेत है कि भारत, रूस से पहले की तुलना में अधिक कच्चा तेल आयात कर रहा है, न कि कम।
भारत का दृष्टिकोण: ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि
भारत पहले ही कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्पष्ट कर चुका है कि:
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ऊर्जा की खरीद एक राष्ट्रीय हित का मामला है।
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भारत अपने नागरिकों को सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए जहां से संभव हो, वहां से तेल खरीदेगा।
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रूस से सस्ता कच्चा तेल मिलने के कारण भारत अपने रणनीतिक भंडार को भर रहा है और तेल उत्पादकों पर निर्भरता को विविध बना रहा है।
भारत ने कई बार पश्चिमी देशों को यह संदेश भी दिया है कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में स्थिरता बनाए रखना उसकी प्राथमिकता है।
अमेरिका की चिंता: क्यों ट्रंप ने दिया यह बयान?
डोनाल्ड ट्रंप के बयान के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं:
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भूराजनीतिक दबाव: अमेरिका रूस को आर्थिक रूप से अलग-थलग करना चाहता है, खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद।
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सेकंडरी टैरिफ की धमकी: ट्रंप ने इंटरव्यू में यह भी कहा कि यदि आवश्यक हुआ, तो वे सेकंडरी टैरिफ लगाएंगे। इसका अर्थ है कि अमेरिका उन देशों पर भी आर्थिक दंड लगा सकता है, जो रूस से व्यापार कर रहे हैं।
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राजनीतिक दबाव: 2024 चुनाव के बाद राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप अंतरराष्ट्रीय नीतियों में सख्ती दिखाना चाहते हैं।
रूस की प्रतिक्रिया और भारत का रणनीतिक रुख
रूस ने ट्रंप के इस दावे पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
वहीं भारत ने साफ किया है कि:
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वह "देशहित में" ऊर्जा आपूर्ति के सभी विकल्पों को खुले रखेगा।
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रूस के साथ तेल व्यापार पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
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वैश्विक बाजार में स्थिरता के लिए भारत G20, BRICS, और अन्य मंचों पर ऊर्जा संतुलन की बात करता रहेगा।
अमेरिका भारत के लिए कहां खड़ा है?
भारत के लिए अमेरिका अब भी एक महत्वपूर्ण तेल आपूर्तिकर्ता है।
हालांकि आंकड़ों के अनुसार:
अर्थात अमेरिका का प्रभाव तो है, लेकिन भारत की ऊर्जा रणनीति रूस से गहरे जुड़ी है।
निष्कर्ष: ट्रंप का दावा कितना सही?
डोनाल्ड ट्रंप का दावा कि "भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है", पूरी तरह तथ्यहीन और भ्रामक है।
आंकड़े बताते हैं कि भारत रूस से रिकॉर्ड मात्रा में तेल खरीद रहा है।
इसका सीधा अर्थ है कि भारत किसी भी वैश्विक दबाव में आए बिना, अपनी ऊर्जा ज़रूरतों और राष्ट्रीय हितों के अनुसार फैसला ले रहा है। यह बात आने वाले समय में भारत के ऊर्जा संबंधों और विदेश नीति को और सुदृढ़ बनाएगी।