प्रयागराज न्यूज डेस्क: शृंग्वेरपुर के गऊघाट आश्रम मंदिर से चोरी हुई राधा-कृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति आठ दिन बाद हाईवे के सर्विस मार्ग के बगल से बरामद हुई। पुलिस को मौके से चोर का माफीनामा मिला, जिसमें उसने अपनी अज्ञानता का उल्लेख करते हुए मूर्ति लौटाने की बात लिखी थी। आश्रम संचालक को मूर्ति सौंप देने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी। यह घटना आश्रम और स्थानीय लोगों के लिए बड़ी राहत लेकर आई।
शृंग्वेरपुर धाम के गऊघाट आश्रम के श्रीराम-जानकी मंदिर से एक सप्ताह पूर्व चोरी हुई 100 वर्ष पुरानी अष्टधातु की राधा-कृष्ण की मूर्ति मंगलवार को हंडिया-कोखराज के सर्विस मार्ग पर आश्रम के सामने मिली। मूर्ति की बरामदगी की सूचना पर आश्रम के महंत को जानकारी दी गई। इससे पहले, पुलिस ने दो संदिग्धों को हिरासत में लिया था, लेकिन मूर्ति का कोई सुराग नहीं मिला था। मूर्ति की बरामदगी से आश्रम और स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई।
आश्रम के पुजारी और स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंचे और मूर्ति के पास से एक पत्र बरामद हुआ। इसमें चोर ने अपनी गलती के लिए पश्चाताप करते हुए क्षमा मांगी और मूर्ति लौटाने की बात लिखी। पुलिस ने मूर्ति को आश्रम संचालक फलाहारी महंत स्वामी जयराम दास महाराज को सौंप दिया। इसके बाद महंत ने विशेष पूजन-अर्चन और गंगा जल से स्नान कराने के बाद मूर्ति को मंदिर में पुनः स्थापित किया। इस घटना से आश्रम और स्थानीय लोगों में खुशी और राहत की भावना है।
चोर का पत्र:
महाराज जी प्रणाम,
मैं अपनी बहुत बड़ी गलती के लिए माफी मांगता हूं। मैंने अज्ञानतावश राधा-कृष्ण की मूर्ति गऊ घाट से चुरा ली थी। लेकिन तब से मेरे जीवन में अनिश्ट ही हुआ है। मुझे बुरे-बुरे सपने आते हैं और मेरे बेटे की तबीयत भी खराब हो गई है।
मैंने मूर्ति को बेचने के लिए उसके साथ छेड़छाड़ की है, जिससे मुझे बहुत पछतावा हो रहा है। मैं समझ गया हूं कि थोड़े पैसों के लिए मैंने बहुत बड़ा पाप किया है।
मैं मूर्ति को वापस रखकर अपनी गलती की माफी मांगता हूं। मैं आपसे विनती करता हूं कि मेरी गलती को माफ करते हुए भगवान को फिर से मंदिर में रख दिया जाए। मैंने पहचान छिपाने के लिए मूर्ति की पालिश कराकर उसका आकार बदल दिया है।
महाराज जी, मैं अपने बाल-बच्चों के लिए आपके समक्ष क्षमा याचना करता हूं। कृपया अपनी मूर्ति स्वीकार करें और मुझे माफ करें।