प्रयागराज न्यूज डेस्क: प्रयागराज एयरपोर्ट, जो महाकुंभ के दौरान देश के 20 सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में शुमार था, अब यात्रियों और विमानों की संख्या के मामले में अयोध्या और गोरखपुर जैसे छोटे एयरपोर्ट्स से भी पीछे हो गया है। महाकुंभ के समय यहां रोजाना औसतन 100 फ्लाइट्स का संचालन हो रहा था, लेकिन अब यह संख्या घटकर महज 10 से 12 रह गई है। तब रोजाना करीब 12,000 यात्रियों की आवाजाही होती थी, जबकि अब यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 1,500 के आसपास पहुंच गया है।
फ्लाइट्स की लगातार घटती संख्या के चलते प्रयागराज एयरपोर्ट की स्थिति और बिगड़ती जा रही है। डीजीसीए के समर शेड्यूल में इस बार प्रयागराज को एक भी नई उड़ान नहीं मिली, जो कि एयरपोर्ट निर्माण के बाद पहली बार हुआ है। उल्टा एलाइंस एयर की दिल्ली और इंडिगो की लखनऊ उड़ानें भी बंद कर दी गईं। इंडिगो की मुंबई और बेंगलुरु की लोकप्रिय उड़ानों की फ्रीक्वेंसी भी कम कर दी गई है, जबकि ये फ्लाइट्स आमतौर पर फुल जाया करती थीं।
अप्रैल 2025 के पहले 16 दिनों में प्रयागराज एयरपोर्ट से सिर्फ 24,237 यात्रियों ने 182 विमानों के जरिए सफर किया, जबकि इसी दौरान गोरखपुर और अयोध्या एयरपोर्ट्स पर 50 हजार से ज्यादा यात्रियों की आवाजाही दर्ज की गई। बीते वित्तीय वर्ष तक प्रयागराज, लखनऊ और वाराणसी के बाद राज्य का तीसरा सबसे व्यस्त एयरपोर्ट था। एयरपोर्ट सलाहकार समिति के सदस्य आशीष गुप्ता और धनंजय सिंह का कहना है कि प्रयागराज जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक शहर में उड़ानों की कटौती से टूरिज्म और स्थानीय विकास को नुकसान पहुंचेगा। करोड़ों रुपये की लागत से नया टर्मिनल बनाने का मकसद तब बेकार हो जाता है जब उड़ाने ही रद्द हो जाएं।