प्रयागराज न्यूज डेस्क: नेपाल के श्रद्धालुओं में प्रयागराज महाकुंभ को लेकर खासा उत्साह देखा जा रहा है। भारत-नेपाल सीमावर्ती क्षेत्रों से रोजाना बड़ी संख्या में नेपाली श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल होने के लिए आ रहे हैं। नेपाली नागरिक इसे अपने लिए एक खास आध्यात्मिक अवसर मान रहे हैं। उनका कहना है कि भारत और नेपाल के बीच गहरी आध्यात्मिक और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, और यही वजह है कि वे इस महाकुंभ का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक हैं।
भारत और नेपाल के बीच 82 किलोमीटर लंबी खुली सीमा बलरामपुर जिले से लगी हुई है, जिससे बिना वीजा और पासपोर्ट के दोनों देशों के लोग आसानी से आ-जा सकते हैं। इस रास्ते से न सिर्फ व्यापारिक गतिविधियां होती हैं, बल्कि धार्मिक आयोजन भी दोनों देशों के लोगों को जोड़ते हैं। नेपाल में हिंदू आबादी बड़ी संख्या में है, जिनकी महाकुंभ में गहरी आस्था है। इस बार भी नेपाल से बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज महाकुंभ में शामिल होने आ रहे हैं।
महाकुंभ को लेकर भारत-नेपाल सीमा स्थित कोइलाबास बॉर्डर पर दोनों देशों के अधिकारियों की बैठक हुई है। इस बैठक में महाकुंभ में आने वाले नेपाली श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधाओं पर चर्चा की गई। सुरक्षा को लेकर एसएसबी ने सीमा पर अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। एसएसबी के अधिकारी मनोरंजन कुमार पांडेय ने बताया कि सीमा पर हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है और श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
भारत और नेपाल के बीच सिर्फ सांस्कृतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संबंध भी बहुत पुराने हैं। देवीपाटन मंदिर जैसे शक्तिपीठों से नेपाल का गहरा जुड़ाव है। नेपाल के दांग जिले से हर साल नवरात्रि के दौरान पात्र देवता की यात्रा निकलती है, जो देवीपाटन मंदिर पहुंचती है। इसी तरह प्रयागराज महाकुंभ को लेकर भी नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में खासकर हिंदू समुदाय में गजब का उत्साह है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकुंभ के इस पावन स्नान का हिस्सा बनने के लिए पहुंच रहे हैं।