प्रयागराज न्यूज डेस्क: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और उनसे जुड़े अस्पतालों में आधारभूत सुविधाओं और फैकल्टी की कमी को लेकर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने प्रयागराज और कानपुर स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों को नोटिस भेजते हुए यह जानकारी मांगी है कि उनके संस्थानों में किस स्तर तक बुनियादी ढांचे की कमी और फैकल्टी पदों की रिक्तता बनी हुई है। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए दिया।
राज्य सरकार की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे में 42 संचालित मेडिकल कॉलेजों की सूची और उनके बिस्तरों की संख्या तो दी गई, लेकिन कोर्ट को इस बात पर आपत्ति थी कि उसमें फैकल्टी और बुनियादी सुविधाओं का कोई विस्तृत ब्योरा नहीं दिया गया। इसे अपर्याप्त मानते हुए अदालत ने प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा को निर्देश दिया कि वह विस्तृत और स्पष्ट जानकारी के साथ नया हलफनामा पेश करें।
कोर्ट ने यह भी कहा कि मेडिकल कॉलेजों की गुणवत्ता और मेडिकल एजुकेशन की विश्वसनीयता, इन संस्थानों में उपलब्ध संसाधनों और शिक्षकों की संख्या पर निर्भर करती है। ऐसे में कॉलेज प्राचार्यों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने कॉलेजों व अस्पतालों में कितने फैकल्टी पद खाली हैं और किन-किन आधारभूत जरूरतों की पूर्ति होनी बाकी है, इसका साफ विवरण हलफनामे के रूप में कोर्ट को दें। मामले की अगली सुनवाई 1 मई 2025 को होगी।