प्रयागराज न्यूज डेस्क: पुलिस के बयान में दो मुख्य मुद्दे हैं जो एक दूसरे से मेल नहीं खाते हैं। पहला सवाल यह उठता है कि अगर आरोपी के पास भाई की जमानत के लिए पैसे नहीं थे, तो पिस्टल खरीदने के लिए 40 हजार रुपये उसने कहां से जुटाए? दूसरा सवाल यह है कि अगर आरोपी चोरी करने के इरादे से गया था, तो उसने पिस्टल क्यों ली थी? पुलिस का यह भी दावा है कि वारदात से दस दिन पहले आरोपी ने चीफ इंजीनियर के घर में चोरी करने का प्रयास किया था, लेकिन सिक्योरिटी के कारण वह असफल रहा।
अब सवाल यह उठता है कि महज दस दिन में आरोपी ने ऐसा क्या जुगाड़ किया कि वह इतनी मजबूत सिक्योरिटी को भेदने में सफल हो गया? जबकि पुलिस का दावा है कि आरोपी और उसका परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहा था, वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि आरोपी महंगी बाइक का शौकीन था। आरोपी के पास 1.5 लाख रुपये कीमत की आर1 फाइव बाइक है, जो इसके आर्थिक स्थिति के दावे से मेल नहीं खाती।
पुलिस के इस थ्योरी पर अब भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि मुख्य आरोपी सौरभ पासी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है और उसकी निशानदेही पर हथियार भी बरामद हो चुका है, लेकिन पुलिस को अदालत में इसे साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिल पा रहे हैं। पुलिस को डर है कि चार्जशीट पेश होने के बाद सौरभ को जमानत मिल सकती है, इसलिए अब वह पुख्ता सबूत जुटाने के लिए आरोपी के सोशल मीडिया अकाउंट और उसके दोस्तों से जानकारी जुटाने में लगी हुई है।