मुंबई, 18 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। देश में बना पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट जहाज INS निस्तार शुक्रवार को भारतीय नौसेना में शामिल हो गया। इस अत्याधुनिक जहाज को हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने तैयार किया है और यह 300 मीटर की गहराई तक समुद्र में बचाव अभियान चलाने में सक्षम है। 10,000 टन से ज्यादा वजनी और 118 मीटर लंबा यह जहाज विशाखापत्तनम में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी की मौजूदगी में नौसेना को सौंपा गया। INS निस्तार जैसे जहाजों का निर्माण अब तक दुनिया के कुछ ही चुनिंदा देशों में होता रहा है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने इसे सिर्फ एक तकनीकी जहाज नहीं, बल्कि भारतीय नौसेना की रणनीतिक और ऑपरेशनल क्षमताओं में वृद्धि करने वाला अहम संसाधन बताया। उन्होंने कहा कि INS निस्तार की कमीशनिंग के साथ ही भारत इस क्षेत्र का 'सबमरीन रेस्क्यू पार्टनर' बन गया है। इससे भारतीय नौसेना को न केवल अपनी पनडुब्बियों में फंसे जवानों को बचाने की क्षमता मिलेगी, बल्कि यह क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा में भी बड़ी भूमिका निभा सकेगा।
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ का प्रतीक बताया और कहा कि INS निस्तार के निर्माण में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल हुआ है और इसमें 120 से अधिक एमएसएमई इकाइयों का योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि अब भारत की शिपयार्ड इंडस्ट्री इतनी सक्षम हो चुकी है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर के युद्धपोतों का निर्माण कर सकती है। डाइविंग सपोर्ट जहाजों का उपयोग समुद्र की गहराई में डाइविंग और बचाव अभियानों के लिए किया जाता है। ये जहाज गोताखोरों को गहरे पानी में सुरक्षित ले जाने, वहां कार्य करने और उन्हें वापस लाने की व्यवस्था करते हैं। इन जहाजों में ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम, दबाव नियंत्रण वाले चेंबर, रोबोटिक उपकरण (ROVs) और विशेष रेस्क्यू बोट्स होते हैं, जो उन्हें पनडुब्बियों में फंसे लोगों को बचाने में सक्षम बनाते हैं। ऐसे जहाज बहुत ही कम देशों के पास हैं और इनकी उपस्थिति किसी भी नौसेना की गहरी समुद्री क्षमता को अत्यधिक मजबूत करती है।