यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को फांसी की सजा से बचाने के लिए ‘सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल’ नामक संस्था द्वारा दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुमति मांगी कि वे मृतक के परिवार से बात करने के लिए यमन जा सकें ताकि मामला सुलझाया जा सके। वकील ने बताया कि फांसी की सजा फिलहाल टल चुकी है, इसके लिए वे सरकार के आभारी हैं, लेकिन मामले को शांति से सुलझाने के लिए यमन जाकर सीधे वार्ता आवश्यक है।
सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने कहा कि सरकार चाहती है कि निमिषा सकुशल वापस आ जाएं और किसी तरह की ऐसी स्थिति न बने जो गलत नतीजे को जन्म दे। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सरकार के पास ज्ञापन जमा करने की अनुमति दी है और कहा है कि सरकार इस पर निर्णय लेगी। अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी।
फांसी टली, मौत की सजा बरकरार
निमिषा प्रिया को यमन की अदालत ने 2020 में हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। 16 जुलाई 2025 को फांसी होने वाली थी, लेकिन भारतीय और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते फांसी की तारीख को स्थगित कर दिया गया है। यमन की शरिया कानूनी व्यवस्था में निमिषा को बचाने का एकमात्र तरीका मृतक महदी के परिवार से माफी लेना है। इसके लिए ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ ने महदी के परिवार को 10 लाख डॉलर की ‘दियाह’ (ब्लड मनी) की पेशकश की, लेकिन अभी तक परिवार ने इसे अस्वीकार कर दिया है।
निमिषा प्रिया कौन हैं?
केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया ने 2008 में यमन में नर्स के रूप में काम शुरू किया। 2017 में उन्हें उनके पूर्व बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया। आरोप था कि उन्होंने महदी को बेहोशी की दवा की अधिक मात्रा देकर मारा और फिर शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में फेंक दिया। निमिषा ने इन आरोपों से इनकार किया है और वकील ने अदालत में कहा कि दवा देना उनकी मंशा नहीं थी, बल्कि वे महदी से पासपोर्ट वापस लेने के लिए ऐसा कर रही थीं।
माफी ही एकमात्र रास्ता
भारतीय विदेश मंत्रालय निमिषा की सुरक्षा और वापस आने के लिए लगातार प्रयासरत है। यमन के जेल प्रशासन और अभियोजन से संपर्क में रहकर उन्होंने फांसी की तारीख को टालने में सफलता हासिल की है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि महदी के परिवार से माफी मिल जाती है और ब्लड मनी स्वीकार हो जाती है, तो निमिषा की मौत की सजा रद्द हो सकती है। इसके लिए बातचीत जारी है और समर्थकों को उम्मीद है कि सकारात्मक परिणाम जल्द मिलेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका और आगे का रास्ता
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए याचिकाकर्ता को सरकार के सामने ज्ञापन देने की अनुमति दी है। सरकार के निर्णय के आधार पर ही आगे की कार्रवाई होगी। 14 अगस्त को अगली सुनवाई में इस मामले पर और फैसले हो सकते हैं।
यह मामला भारतीय नर्स की जिंदगी और यमन के कानूनी ढांचे के बीच जटिलताओं का उदाहरण है, जहां कूटनीतिक और कानूनी प्रयासों से ही जीवन बचाया जा सकता है। समाज के हर वर्ग से यह अपील की जा रही है कि वे इस मामले में संवेदनशीलता और समझदारी दिखाएं ताकि निमिषा प्रिया को न्याय मिले और वह अपने देश लौट सकें।