मुंबई, 21 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़कर 75 फीसदी पहुंच गया है। बिहार में 15 फीसदी आरक्षण का दायरा बढ़ाया गया है। नौकरी और शिक्षण संस्थानों में SC ST, ईबीसी, OBC को अब 65 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा। यह लागू हो गया। बिहार सरकार ने गजट प्रकाशित कर दिया है। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन बीते गुरुवार को आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 पेश हुआ था, जिसे दोनों सदन सर्व सम्मति से पास किया। इसमें आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75% करने का प्रावधान है। राज्य के मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने बिल को अपना समर्थन दिया है। दिल्ली से आते ही राज्यपाल आर्लेकर ने रिजर्वेशन बिल-2023 पर मुहर लगा दी थी।
सीएम नीतीश कुमार ने बीते दिनों विधानसभा में इसकी घोषणा की थी कि सरकार बिहार में आरक्षण के दायरे को बढ़ाएगी। 50 फीसदी से इसे 65 या उससे ऊपर ले जाएंगे। कुल आरक्षण 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करेगी। मुख्यमंत्री के ऐलान के तुरंत बाद कैबिनेट की मीटिंग बुलाई गई। ढाई घंटे के भीतर कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। इसके बाद इसे शीतकालीन सत्र के चौथे दिन 9 नवंबर को विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित कर दिया गया। नए प्रावधान के बाद अनुसूचित जाति को 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 2 प्रतिशत, अति पिछड़ा जाति को 25 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग को 18 प्रतिशत आरक्षण मिल सकेगा।
वहीं, केंद्र की सामान्य वर्ग वाले लोगों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को पहले की तरह 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू रहेगा। सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में पिछड़े और दलित और महादलित लोगों को इसका लाभ मिलेगा। एससी, एसटी, ओबीसी कैटेगरी के छात्रों को सरकारी कॉलेज विश्वविद्यालय में नए सिरे से आरक्षण का लाभ ले पाएंगे। हर कॉलेज और यूनिवर्सिटी के कुल सीट का 75% आरक्षण आर्थिक रूप से पिछड़े समान वर्ग के अभ्यर्थियों के अलावा ओबीसी, एससी-एसटी के विद्यार्थी ले सकेंगे। बिहार सरकार के सरकारी नौकरियों में भी दलित, महादलित, अत्यंत पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मिलेगा।