“लालच शौक को जरूरत में बदल देता है” यह संवाद न केवल हमारी जीवनशैली को बिना लाग-लपेट के चित्रित करता है, अपितु यही वेब सीरीज़ “फ़र्ज़ी” का सार है। काले धन एवं नकली नोटों पर चर्चा से लेकर पुस्तकें छप जाती हैं, परंतु इसकी रूपरेखा क्या है? इसका नेटवर्क कितना विशाल है? इस पर कम ही लोग चर्चा करते हैं, लेकिन वेबसीरीज़ फ़र्जी में इसे बहुत अच्छे ढंग से दिखाया गया है।
'फर्जी' की कहानी
कलाकारों की कलाकारी पर पूरी दुनिया फिदा है। लेकिन क्या हो, अगर कोई कलाकार अपनी कलाकारी से जघन्य अपराध की दुनिया में कदम रख दे। 'द फैमिली मैन' से ओटीटी की दुनिया में धमाल मचाने वाले राज और डीके की नई वेब सीरीज 'FARZI' इसी कलाकारी की कहानी है। एक आर्टिस्ट है सनी। उसके नाना जी की प्रिंटिंग प्रेस अब बंद होने की कगार पर है। वह इस बिजनस को बचाने के लिए फर्जी नोट छापने की तैयारी करता है। कलाकार है, इसलिए नकली नोट की उसकी कलाकारी असली के बेहद करीब है। लेकिन इससे पहले कि वह संभल पाता, वह अब नकली नोट कारोबार के बड़े सिंडिकेट का हिस्सा बन जाता है।
शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) 'फर्जी' से वेब सीरीज की दुनिया में डेब्यू कर रहे हैं। वह सनी के लीड रोल में हैं। सनी को उसके पिता ने छोड़ दिया है। नाना ने ही उसे अपनाया है। सनी के दिल और दुनिया में इस दुनिया के खिलाफ एक नाराजगी है, वह इसी के साथ बड़ा हुआ है। उसके सबसे अच्छे दोस्त फिरोज (भुवन अरोड़ा) और उसके नाना (अमोल पालेकर) के अलावा ऐसा कोई भी नहीं है, जिसे वह अपना मानता है। सनी अपने नानू के सदियों पुराने प्रिंटिंग 'क्रांति' के ठप हो रहे बिजनस में मदद करना चाहता है। हताशा के साथ शुरू हुए प्रयास में उसे जल्द ही एक आर्टिस्ट के तौर पर अपनी क्षमताओं का एहसास होता है। सनी अब 'फर्जी' नोट्स डिजाइन कर सकता है।
राज एंड डीके का बढ़िया काम
तो कथा का आरंभ होता है सनी से, जो एक कलाकार है और पेंटिंग की फर्स्ट कॉपी बड़ी कुशलता से बनाता है। उसके नाना की एक पत्रिका है, वो पत्रिका एवं प्रिंटिंग प्रेस बंद होने के मुहाने पर है और वह इसे स्वीकार नहीं कर पाता। इसके अतिरिक्त सनी अपनी घिसी पिटी जीवनशैली से तंग आ चुका है और वह किसी भी स्थिति में इससे बाहर निकलना चाहता है और इसके लिए वह जो मार्ग अपनाता है, उससे क्या क्या बदलाव उसके जीवन में आता है, “फ़र्जी” (Farzi Web Series Review) इसी के बारे में है।
बचपन में हम सब ने सुना था, “लालच बुरी बला है”, परंतु यह होता कैसे है, “फर्जी” ने बिना लाग लपेट दिखाया है। राज एंड डीके की जोड़ी को आप सम्मान की दृष्टि से देखें या घृणा की वो आपका विकल्प है, परंतु उनकी कला ऐसी है कि आप उसे नकार नहीं सकते।
क्यों देखें
कुल मिलाकर कहानी से लेकर एक्टिंग और डायलॉगबाजी तक 'फर्जी' एक फ्रेश और बेहद दिलचस्प क्राइम-थ्रिलर है। सीरीज में खासियत ज्यादा है और खामियां कम, इसलिए देखना तो बनता है।