केसरी चैप्टर 2, एक शानदार और बोल्ड देशभक्ति वाली फिल्म है!!
केसरी चैप्टर 2 सिर्फ एक फिल्म नहीं है — ये एक स्मरण है, एक सम्मान है, और एक सच है जिसे जानना और समझना जरूरी है।
निर्देशक: करण सिंह त्यागी
कलाकार: अक्षय कुमार, आर. माधवन, अनन्या पांडे, रेजिना कैसेंड्रा, साइमन पेसली डे, एलेक्स ओ'नेल, अमित सियाल, मसाबा गुप्ता, स्टीवन हार्टली, कृष राव
समय: 135 मिनट
कुछ फिल्में सिर्फ मनोरंजन करती हैं, कुछ जानकारी देती हैं, लेकिन केसरी चैप्टर 2 जैसी फिल्में दिल को झकझोर देती हैं। निर्देशक करण सिंह त्यागीने इस बार सिर्फ एक कहानी नहीं सुनाई, बल्कि इतिहास के एक दर्दनाक अध्याय को पर्दे पर जिंदा कर दिया — जलियांवाला बाग नरसंहार। यहफिल्म न तो नारेबाज़ी करती है, न ही नाटकीयता दिखाती है। यह सच्चाई से भरपूर एक शांत, लेकिन गूंजती हुई आवाज़ है।
यह कहानी उस दर्दनाक घटना के बाद की है, जहां इंसानियत को गोलियों से कुचला गया था। फिल्म एक कोर्टरूम ड्रामा के रूप में सामने आती है, जिसमें नायक और विलेन दोनों अपनी जगहों पर मजबूती से खड़े हैं। लेकिन सबसे खास बात है कि यह फिल्म दर्शकों को सिर्फ एक घटना नहींदिखाती, बल्कि सवाल पूछने पर मजबूर करती है। निर्देशक की पकड़ कहानी पर कसी हुई है, और वो दर्शकों की नज़रों को एक पल के लिए भीभटकने नहीं देते।
अक्षय कुमार इस बार पूरी तरह बदले हुए नज़र आते हैं। यहां कोई बड़ा हीरो वाला अंदाज़ नहीं, बल्कि एक सधी हुई, गहरी और भावनात्मक परफॉर्मेंसहै। कोर्टरूम में उनका आखिरी सीन दिल छू जाता है। वहीं आर. माधवन भी पूरी गंभीरता से अपनी भूमिका निभाते हैं — उनकी अदायगी में गहराई है,और एक तरह की जिज्ञासा भी कि वो किस ओर खड़े हैं। साइमन पेसली डे जनरल डायर के रोल में इतने क्रूर नज़र आते हैं कि देखकर गुस्सा आना तयहै।
अनन्या पांडे इस बार पूरी तरह से अपने ग्लैमरस अवतार से बाहर निकलकर एक सादा और असरदार रोल में नज़र आती हैं। रेजिना कैसेंड्रा और अमितसियाल जैसे कलाकार थोड़े समय के लिए आते हैं, लेकिन अपनी छाप छोड़ जाते हैं। और कृष राव, जिन्होंने एक छोटे बच्चे का रोल निभाया है, वोसचमुच दिल तोड़ देते हैं — उनकी मासूमियत और दर्द एक साथ महसूस होते हैं।
तकनीकी तौर पर भी फिल्म कमाल की है। बैकग्राउंड म्यूज़िक बेहद भावनात्मक है, और सिनेमैटोग्राफी तो जैसे इतिहास को कैमरे में कैद कर रही हो।खासकर जब जलियांवाला बाग की घटना को दिखाया जाता है, तो वो सीन सिर्फ एक दृश्य नहीं रहता — वो एक ज़ख्म बनकर दिल में उतर जाताहै। डायलॉग्स भी गहरे और असरदार हैं, खासकर कोर्टरूम में जो बहस होती है, वो लंबे समय तक याद रहेगी।
अगर कोई बात थोड़ी सी खटकती है, तो वो है फिल्म के कुछ हिस्सों में अंग्रेज़ी का इस्तेमाल। हालांकि ये समय और पात्रों के लिहाज़ से सही है, लेकिन कुछ दर्शकों को इससे जुड़ाव में दिक्कत हो सकती है। मगर ये एक छोटी सी बात है, क्योंकि फिल्म का असर बहुत बड़ा है।
केसरी चैप्टर 2 सिर्फ एक फिल्म नहीं है — ये एक स्मरण है, एक सम्मान है, और एक सच है जिसे जानना और समझना जरूरी है। यह फिल्म हमें नभूलने की बात कहती है, और उन लोगों को श्रद्धांजलि देती है जिन्होंने अपने हक़ के लिए आवाज़ उठाई।
फैसला: ज़रूर देखें। महसूस करें। और कभी न भूलें।