आजकल सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम बन गया है, जहां कोई भी सूचना चंद मिनटों में लाखों लोगों तक पहुंच जाती है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि झूठी और भ्रामक जानकारियां भी बड़ी तेजी से फैलती हैं। ऐसी ही एक भ्रामक पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया गया है कि भारतीय रेलवे अब रेलवे ट्रैक के बीच की खाली जगह में सोलर पैनल लगाने जा रहा है।
यह दावा कई यूजर्स द्वारा प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर किया गया, जिसमें लिखा गया कि –
“भारत रेल पटरियों को बिजली संयंत्रों में बदल रहा है। स्टार्टअप ‘सन-वेज’ के जरिए रेलवे ट्रैक के बीच हटाने योग्य सोलर पैनल लगाए जाएंगे। यह कदम पर्यावरण और बिजली संकट के समाधान में क्रांति ला सकता है।”
इस पोस्ट के साथ एक फोटो भी शेयर की जा रही है जिसमें रेलवे पटरियों के बीच सोलर पैनल लगे हुए दिखाई दे रहे हैं। पोस्ट में आगे कहा गया कि इससे “हर साल 1 टेरावाट प्रति घंटे से अधिक बिजली उत्पन्न की जा सकती है जिससे 2 लाख घरों को बिजली मिल सकती है।”
क्या यह दावा सच है? – India TV फैक्ट चेक रिपोर्ट
सोशल मीडिया पर वायरल इस दावे की सच्चाई जानने के लिए India TV की फैक्ट चेक टीम ने पड़ताल शुरू की। आइए जानते हैं इस दावे की परतें:
तस्वीर की जांच: गूगल रिवर्स इमेज सर्च
वायरल हो रही तस्वीर को हमने सबसे पहले Google Reverse Image Search के जरिए खंगाला।
हमें यह तस्वीर स्विट्जरलैंड के एक समाचार पोर्टल swissinfo.ch पर मिली, जिसकी रिपोर्ट 29 अप्रैल 2025 को प्रकाशित हुई थी।
इस रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रोजेक्ट भारत में नहीं बल्कि स्विट्जरलैंड के बट्स नामक शहर के पास चलाया जा रहा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इस परियोजना को अंजाम दे रही कंपनी ‘Sun-Ways’ एक स्विस स्टार्टअप है।
क्या है इस प्रोजेक्ट की सच्चाई?
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स्विट्जरलैंड की यह परियोजना रेलवे ट्रैक के बीच में हटाए जा सकने वाले सोलर पैनल इंस्टॉल करने पर आधारित है।
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इस तकनीक में बिना अतिरिक्त जमीन इस्तेमाल किए सोलर एनर्जी पैदा करने की क्षमता है।
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इस मॉडल का मुख्य उद्देश्य सौर ऊर्जा के स्रोतों का अधिकतम उपयोग करना है।
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लेकिन भारत सरकार या भारतीय रेलवे की ओर से ऐसी कोई योजना सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं की गई है।
वायरल दावा क्यों गलत है?
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जिस तस्वीर को भारतीय रेलवे से जोड़कर शेयर किया जा रहा है, वह स्विट्जरलैंड की है।
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जिस कंपनी Sun-Ways की बात हो रही है, वह स्विस कंपनी है, न कि भारतीय।
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भारतीय रेलवे ने अपने किसी भी अधिकारिक बयान, प्रेस विज्ञप्ति या योजना दस्तावेज में इस तरह की किसी योजना की पुष्टि नहीं की है।
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वायरल पोस्ट में तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है, जिससे भ्रम की स्थिति बन रही है।
फैक्ट चेक का निष्कर्ष:
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सोशल मीडिया पर वायरल यह पोस्ट भ्रामक है।
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तस्वीर और दावा दोनों झूठे और गुमराह करने वाले हैं।
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भारत में फिलहाल रेलवे ट्रैक के बीच सोलर पैनल लगाने की कोई आधिकारिक योजना नहीं है।
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यह तस्वीर और विचार स्विट्जरलैंड के एक पायलट प्रोजेक्ट से संबंधित है, न कि भारत से।
सोशल मीडिया यूजर्स से अपील:
ओर से सभी पाठकों और सोशल मीडिया यूजर्स से निवेदन है कि ऐसी किसी भी पोस्ट को बिना फैक्ट चेक के शेयर न करें।
गलत जानकारी न केवल भ्रम फैलाती है, बल्कि यह समाज के लिए हानिकारक भी हो सकती है।
अगर आपको कोई ऐसी पोस्ट दिखे, जो चौंकाने वाला दावा करती हो, तो उस पर आंख बंद कर विश्वास करने से पहले उसकी जांच जरूर करें।
आप क्या कर सकते हैं?
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किसी भी पोस्ट को शेयर करने से पहले Google, समाचार पोर्टल या फैक्ट चेक वेबसाइट पर जांच लें।
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आधिकारिक स्रोतों – जैसे भारतीय रेलवे, PIB Fact Check, Press Information Bureau आदि – की जानकारी देखें।
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किसी गलत पोस्ट को रिपोर्ट करें और दूसरों को भी उसकी सच्चाई बताएं।