धोती भारतीय पुरुषों की पारंपरिक पोशाक है। धोती पहनने वालों की शैली और दृष्टिकोण राज्य या प्रांत के आधार पर बदलते हैं। धोती की उपस्थिति को विभिन्न कार्यों और कार्यवाहियों में व्यापक रूप से महसूस किया जा सकता है। धोती शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द धौता से हुई है। यह भारत में कई प्रमुख भारतीय राजनेताओं द्वारा पारंपरिक परिधान के रूप में पहना गया है |
शुरू में इसे केवल कुर्ते के साथ पहना जाता था। धोती एक ऐसा पोशाक है जो सम्मान का प्रतिक है|
धोती मुख्य रूप से सफेद और क्रीम रंगों में उपलब्ध है। इस कपड़े के लिए सामग्री कपास है। दक्षिण के अधिकांश क्षेत्रों में यह ज्यादातर सोने के बॉर्डर के साथ बनाया जाता है |
अधिकतर, धोती बनाने के लिए कपड़े के 5 गज लंबे स्ट्रिप्स का उपयोग किया जाता है। इस परिधान को लपेटने के लिए लगभग पांच गांठों का उपयोग किया जाता है। पहनने की शैली हर भूमि में भिन्न होती है।
आम तौर पर धोती किसी त्योहार या शादी समारोह के दौरान पहनी जाती है। विशेष रूप से, अधिकांश दक्षिण भारतीय शादियों में, धोती पुरुषों के पहनने का एक अभिन्न अंग है। लगभग हर राजनेता इसे अपने औपचारिक वस्त्र के रूप में पहनता है।
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी ने मधुराई में एक फैसला किआ था की वह एक साधारण धोती और शॉल ही पहनेंगे क्योकि , उन्हें भारत के गरीब लोगों के साथ काम करना है और अगर वह उनसे अलग कपड़े पहनते हैं तो वह उनके साथ कैसे घुलमिल पाएंगे |
धोती लगभग सभी मौसमों के लिए अनुकूल है। कारण यह है कि वे रेशम और सूती कपड़े दोनों में उपलब्ध हैं।
धोती में बहुत सारे नवाचार हुए हैं जैसे की लेटेस्ट धोती पेन्ट |
भारत में अलग-अलग कलाकारों, पंथों या समुदायों को दर्शाने वाली धोती पहनने के अलग-अलग तरीके हैं, जैसे पंडित के पास धोती पहनने का एक तरीका है, एक किसान इसे अलग तरीके से पहनता है और एक दक्षिण भारतीय समुदाय इसे पूरी तरह से पहनता है।
धोती कपड़े का सबसे सरल रूप, जो शरीर को सबसे सरल रूपों में कवर करने के लिए बनाया गया है| और यह सादे सरल जीवन जिसमे कोई मोह माया न हो इसका प्रमाण है |