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एक देश ऐसा जहां तलाक लेना गैर कानूनी, प्यार न होते हुए भी मजबूरी में निभाना पड़ता है रिश्ता

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Posted On:Thursday, April 10, 2025

एक समय था जब शादी को सिर्फ एक सामाजिक संस्था नहीं, बल्कि एक पवित्र बंधन माना जाता था—वो भी सात जन्मों तक साथ निभाने वाला। लेकिन आज के आधुनिक युग में रिश्तों की परिभाषाएं बदल गई हैं। जैसे ही पति-पत्नी के बीच कुछ अनबन होती है, तुरंत “तलाक” का शब्द सामने आ जाता है। लेकिन दुनिया में एक देश ऐसा भी है, जहां यह विकल्प मौजूद ही नहीं है। यहां तलाक लेना न सिर्फ मुश्किल है बल्कि कानूनन जुर्म भी माना जाता है। हम बात कर रहे हैं दक्षिण-पूर्व एशिया के खूबसूरत द्वीप देश ‘फिलीपींस’ की। समुद्र की लहरों से घिरे इस देश में रिश्तों की डोर कानून के ऐसे बंधनों में जकड़ी हुई है, जिसे तोड़ना आसान नहीं।

क्या वाकई तलाक लेना यहां अपराध है?

जी हां, फिलीपींस एकमात्र ऐसा देश है जहां तलाक लेना पूरी तरह से गैरकानूनी है। अगर किसी शादीशुदा कपल के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा, तो भी वे तलाक नहीं ले सकते। उन्हें या तो आपसी समझदारी से

इतिहास: कब से गैरकानूनी हुआ तलाक?

फिलीपींस में तलाक पर प्रतिबंध कोई नया नियम नहीं है। इसकी शुरुआत 1930 में हुई थी, जब देश ने एक नया फैमिली कोड अपनाया। इसके अंतर्गत तलाक को कानून से बाहर कर दिया गया और शादी को जीवनभर का अनुबंध मान लिया गया। हालांकि इससे पहले भी कैथोलिक चर्च की मान्यताओं के कारण तलाक को सामाजिक रूप से गलत माना जाता था। यहां के धार्मिक ढांचे में शादी को ईश्वर द्वारा बनाया गया अटूट बंधन माना जाता है, जिसे कोई भी इंसान तोड़ने का अधिकार नहीं रखता।

जनसंख्या और धर्म का प्रभाव

2020 की जनगणना के अनुसार, फिलीपींस की कुल आबादी का करीब 79% हिस्सा कैथोलिक धर्म को मानता है। यह धर्म तलाक की इजाजत नहीं देता, जिससे देश की बड़ी आबादी को इस कानून का पालन करना पड़ता है। वहीं, लगभग 6.4% आबादी मुस्लिम समुदाय की है, जिन्हें शरिया कानून के तहत तलाक लेने की छूट है। इसका मतलब ये है कि देश में तलाक पूरी तरह प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन अधिकांश नागरिकों के लिए यह विकल्प उपलब्ध नहीं है।

क्या सच में कोई विकल्प नहीं है?

हालांकि तलाक पर पाबंदी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि रिश्ता खत्म नहीं हो सकता। फिलीपींस में शादी को खत्म करने के लिए कुछ कानूनी विकल्प मौजूद हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. एनलमेंट (Annulment): इसमें यह साबित करना होता है कि शादी कानूनी रूप से कभी हुई ही नहीं थी। यह प्रक्रिया बहुत लंबी, खर्चीली और कठिन होती है।

  2. लीगल सेपरेशन: इसमें पति-पत्नी अलग हो सकते हैं, लेकिन कानूनी रूप से उनकी शादी बनी रहती है। वे दोबारा शादी नहीं कर सकते।

  3. शरिया लॉ: जैसा कि ऊपर बताया गया, मुस्लिम नागरिक शरिया कानून के तहत तलाक ले सकते हैं।

क्या धर्म बदलने से मिल सकती है तलाक की आज़ादी?

यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन फिलीपींस में कई लोग धर्म परिवर्तन कर तलाक लेने का विकल्प अपनाते हैं। खासकर जब रिश्ते में सुधार की कोई संभावना नहीं होती, तब व्यक्ति कैथोलिक से मुस्लिम धर्म अपना लेता है ताकि शरिया कानून के तहत तलाक ले सके। हालांकि यह रास्ता भी आसान नहीं होता। इसमें धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक दवाब और परिवार की भावनाएं भी जुड़ी होती हैं।

लोग क्या सोचते हैं?

फिलीपींस में तलाक पर प्रतिबंध को लेकर दो तरह की सोच देखने को मिलती है:

  • समर्थक कहते हैं: यह व्यवस्था परिवारों को जोड़कर रखती है। तलाक की आसानी रिश्तों को कमज़ोर कर सकती है।

  • विरोधी कहते हैं: यह कानून महिलाओं को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाता है। एक बार शादी हो जाने पर अगर पति हिंसक है या संबंध विषाक्त है, तब भी महिला उस रिश्ते में फंसी रह जाती है। महिला अधिकार संगठनों और युवा वर्ग में इस कानून को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है, लेकिन अब तक कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है।

क्या आने वाले समय में बदलेगा यह कानून?

हाल के वर्षों में तलाक को वैध करने के लिए कई प्रयास हुए हैं। 2018 और 2021 में फिलीपींस की संसद में Divorce Bill पेश किया गया, जिसमें सीमित स्थितियों में तलाक की इजाजत मांगी गई थी। हालांकि, यह बिल अब तक कैथोलिक लॉबी और पारंपरिक विचारधाराओं के कारण पारित नहीं हो सका। लेकिन सामाजिक बदलाव और युवा सोच के साथ इस दिशा में हलचल जरूर देखी जा रही है।

निष्कर्ष: क्या मजबूरी का नाम है शादी?

फिलीपींस में तलाक को गैरकानूनी बनाना, वहां की धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का प्रतिबिंब है। लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी खड़ा होता है कि जब दो लोग साथ नहीं रहना चाहते, तो क्या उन्हें कानूनन एक रिश्ते में बाँधना सही है? दुनिया तेजी से बदल रही है, रिश्तों की परिभाषाएं भी बदल रही हैं। ऐसे में ज़रूरत है कि कानून भी लोगों की भावनाओं और आज की सामाजिक ज़रूरतों को समझे। जब शादी का रिश्ता प्रेम और सम्मान पर टिका हो, तब ही वह पवित्र होता है। और जब उसमें से ये भावनाएं खत्म हो जाएं, तो एक-दूसरे को आज़ादी देना भी एक तरह का सम्मान ही है।


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