मुंबई, 07 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। व्लादिमीर पुतिन 5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बन गए हैं। मॉस्को के ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस में पुतिन ने 33 शब्दों में शपथ ली। यह वही जगह है, जहां रूस के जार परिवार के 3 राजाओं (एलेक्जेंडर 2, एलेक्जेंडर 3 और निकोलस 2) की ताजपोशी हुई थी। शपथ के बाद पुतिन ने कहा, हम और मजबूत होंगे। हम उन देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करेंगे जो हमें दुश्मन समझते हैं। मैं जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए हरसंभव कोशिश करूंगा। पुतिन ने कहा कि हम पश्चिमी देशों के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं। यह उन पर निर्भर करता है कि वे हमसे बातचीत करना चाहते हैं या नहीं। पश्चिमी देशों ने लगातार रूस में विकास को रोकने की कोशिश की है। वे सालों से हमारे खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाते आए हैं। हम यूरोप और एशिया में अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर मल्टीपोलर वर्ल्ड ऑर्डर के लिए काम करते रहेंगे। हम चाहते हैं कि सभी देशों के पास एक जैसी सुरक्षा व्यवस्था हो। आजादी और एकता बनाए रखने के लिए रूस का सोशल-पॉलिटिकल सिस्टम लचीला होना चाहिए। हमें हर वक्त किसी भी चुनौती या खतरे के लिए तैयार रहना होगा।
शपथ ग्रहण समारोह में रूस की फेडरेल काउंसिल के सदस्य (सीनेट के सांसद), स्टेट डूमा के सदस्य (निचले सदन के सांसद), हाईकोर्ट के जज, अलग-अलग देशों के राजदूत और डिप्लोमैटिक कॉर्प्स शामिल हुए। 2018 में पुतिन के चौथे शपथ ग्रहण में जर्मनी के पूर्व चांसलर जेरहार्ड श्रोडर समेत करीब 6 हजार लोग मौजूद रहे थे। इसका लाइव टेलिकास्ट भी किया गया था। समारोह के बाद रूस के ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख पेट्रिआर्क ने राष्ट्रपति के साथ कैथेड्रल चर्च में प्रार्थना की। यह प्रथा साल 1498 से जारी है, जब मॉस्को के प्रिंस दिमित्री इवानोविच का विवाह हुआ था। सेरेमनी की शुरुआत में रूस का प्रेसिडेंशियल बैंड वही धुन बजाता है, जो 1883 में एलेक्जेंडर 3 की ताजपोशी के वक्त बजाई गई थी। आपको बता दें, रूस में 15-17 मार्च को हुए चुनाव में पुतिन को 88% वोट मिले थे। उनके विरोधी निकोले खारितोनोव को सिर्फ 4% वोट मिले थे। रूस में हुए पुतिन के शपथ ग्रहण समारोह का अमेरिका, ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों ने बहिष्कार किया है। हालांकि, भारत के राजदूत विनय कुमार कार्यक्रम में मौजूद रहे। पुतिन ने साल 2000 में पहली बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। इसके बाद से 2004, 2012 और 2018 में भी वे राष्ट्रपति बन चुके हैं।