मुंबई, 4 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दुनिया की सबसे बड़ी नील नदी में पाए जाने वाले मगरमच्छ हेनरी को सबसे बूढ़े मगरमच्छ का दर्जा दिया गया है। 16 फुट के इस मगरमच्छ की उम्र 123 साल है। इसका वजन 700 किलोग्राम है। वह 16 दिसंबर 1900 में बोत्सवाना के ओकावैंगो डेल्टा में पैदा हुआ था। हेनरी जिस चिड़ियाघर में रहता है उसके मुताबिक, इस मगरमच्छ के 6 मेटिंग पार्टनर से 10 हजार बच्चे हैं। कहा जाता है कि साल 1900 में हेनरी ने बोत्सवाना के एक समुदाय के बच्चों पर हमला करना शुरू कर दिया था। इसके बाद वहां के मशहूर शिकारी सर हेनरी न्यूमैन ने 1903 में उसे पकड़ लिया। शिकारी ने फैसला किया कि वह मगरमच्छ को मारेंगे नहीं। उन्हीं के नाम पर इसका नाम 'हेनरी' पड़ गया।
वहीं, हेनरी पिछले 30 सालों से साउथ अफ्रीका के स्कॉटबर्ग शहर में मौजूद क्रॉकवर्ल्ड कंजर्वेशन सेंटर में रह रहा है। नील मगरमच्छ अफ्रीका के 26 देशों में पाए जाते हैं। ये आमतौर पर आक्रामक स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। ये नदियों, तालाबों और दलदलों में पाए जाते हैं। ये अक्सर जेब्रा और पॉर्क्यूपाइन जैसे जानवरों को शिकार बनाते हैं। अफ्रीका में हर साल सैकड़ों लोग मगरमच्छ का शिकार बन जाते हैं। ऐसे तो बोत्सवाना का हेनरी सबसे बूढ़ा मगरमच्छ है, लेकिन सबसे लंबे मगरमच्छ का खिताब ऑस्ट्रेलिया के कैसियस के पास है। 16 फीट लंबे इस मगरमच्छ को 1984 में क्वींसलैंड में पकड़ा गया था। साल 2011 में उसका नाम सबसे लंबे मगरमच्छ के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। इससे पहले जुलाई में ऑस्ट्रेलिया में एक मगरमच्छ ने 12 साल की बच्ची को खा लिया था। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ABC के मुताबिक, बच्ची तैराकी सीखने गई थी। जब देर रात तक परिवार को बच्ची का कोई सुराग नहीं मिला तो उन्होंने पुलिस के पास गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। बच्ची को ढूंढने के लिए पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद मांगी। पुलिस ने इसके लिए पार्क के संचालक और वन विभाग की स्पेशल टीम बनाई। इसके बाद अगले दिन शाम को स्विमिंग पूल के पास बच्ची के खून से लथपथ कपड़े मिले। पुलिस ने जांच तेज की तो कुछ ही दूरी पर मगरमच्छ के इलाके में बच्ची के अवशेष मिले थे।