मुंबई, 06 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2 दिन के फ्रांस दौरे पर हैं। इस दौरान पेरिस में तिब्बतियों ने उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए। तिब्बत की आजादी की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के काफिले को फ्री तिब्बत के झंडे दिखाए। साथ ही उइगर मुस्लिम समुदाय ने भी जिनपिंग पर मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाकर उनके फ्रांस दौरे का विरोध किया। दरअसल, 23 मई 1951 को चीन ने तिब्बत पर जबरन कब्जा कर लिया था। तब से तिब्बत के लोग लगातार अलग-अलग मंचों से इसका विरोध कर रहे हैं। जिनपिंग 2019 के बाद पहली बार यूरोप की यात्रा पर हैं। इसी यात्रा के विरोध में स्टूडेंट्स फॉर ए फ्री तिब्बत (SFT) नाम की संस्था ने चीन के खिलाफ बैनर और झंडे फहराए। इसके बाद पुलिस ने दो कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।
ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन से जिनपिंग के सामने उइगर, तिब्बतियों और हांगकांग के लोगों की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों का मुद्दा उठाने की मांग की है। साथ ही उन लोगों को जेल से छोड़ने को कहा गया है, जो सालों से अपने हक की आवाज उठाने के चलते चीन में कैद है। तिब्बती लोगों ने मैक्रों से कहा है कि वो चीन के बोर्डिंग स्कूलों में तिब्बती बच्चों के दमन के मामले में जिनपिंग से जवाब देने को कहें। वहीं फ्रांस के कई नेता यूक्रेन जंग में रूस का साथ देने पर जिनपिंग का विरोध करेंगे।