मुंबई, 05 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अमेरिका में 1 अक्टूबर से शुरू हुआ सरकारी शटडाउन अब 36वें दिन में पहुंच गया है। यह देश के इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन बन गया है। इससे पहले 2018 में ट्रम्प सरकार के दौरान 35 दिनों तक सरकारी कामकाज ठप रहा था। इस बार शटडाउन के कारण 4.2 करोड़ अमेरिकियों की फूड स्टैंप (SNAP) सहायता रुक गई है। अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के पास अब सिर्फ 5 अरब डॉलर का रिजर्व फंड बचा है, जबकि नवंबर में कार्यक्रम जारी रखने के लिए 9.2 अरब डॉलर की जरूरत होगी।
वॉशिंगटन स्थित बाइपार्टिसन पॉलिसी सेंटर के अनुसार अब तक 6.7 लाख सरकारी कर्मचारी छुट्टी पर भेजे जा चुके हैं और 7.3 लाख कर्मचारी बिना वेतन काम कर रहे हैं। इस तरह लगभग 14 लाख कर्मचारी अपने खर्च चलाने के लिए कर्ज लेने पर मजबूर हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प स्वास्थ्य बीमा सब्सिडी बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं, जिस कारण संसद के ऊपरी सदन सीनेट में फंडिंग बिल पास नहीं हो पा रहा है। इस बिल पर 14 बार वोटिंग हो चुकी है, लेकिन बहुमत के लिए जरूरी 60 वोट नहीं मिल सके हैं।
फूड प्रोग्राम रुकने के बाद न्यूयॉर्क, कैलिफोर्निया और मैसाचुसेट्स समेत 25 राज्यों ने ट्रम्प प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। इन राज्यों का कहना है कि फूड सप्लाई रोकना गैरकानूनी है और इससे लाखों परिवार प्रभावित हो रहे हैं। कांग्रेसनल बजट ऑफिस (CBO) के मुताबिक अब तक करीब 11 अरब डॉलर यानी ₹1 लाख करोड़ का आर्थिक नुकसान हो चुका है। अगर शटडाउन जल्द खत्म नहीं हुआ, तो देश की GDP में चौथी तिमाही में 1% से 2% की गिरावट दर्ज हो सकती है।
CBO के अनुसार जबरन छुट्टी पर भेजे गए कर्मचारियों की प्रतिदिन लगभग 400 मिलियन डॉलर यानी ₹3,300 करोड़ की सैलरी का नुकसान हो रहा है। संस्था के डायरेक्टर फिलिप स्वैगल ने कहा कि सरकारी खर्च में देरी से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा है, जिसका कुछ प्रभाव तो समय के साथ घटेगा, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं होगा।
शटडाउन का सबसे गंभीर असर हवाई सेवाओं पर पड़ा है। देशभर के कई हवाई अड्डों पर उड़ानें देर से चल रही हैं या रद्द की जा रही हैं। परिवहन विभाग ने चेतावनी दी है कि 11,000 एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों को वेतन नहीं मिला है और यदि स्थिति बनी रही तो हवाई यातायात पर गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) के अनुसार 31 अक्टूबर से 2 नवंबर के बीच 16,700 से अधिक उड़ानें देरी से चलीं और 2,282 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।
FAA की रिपोर्ट बताती है कि उसके 30 प्रमुख एयरपोर्ट्स में से आधे में स्टाफ की भारी कमी है। न्यूयॉर्क क्षेत्र के हवाई अड्डों में तो 80% तक कर्मचारी अनुपस्थित हैं। कंट्रोलर इमरजेंसी सर्विस के तहत आते हैं, इसलिए वे काम पर तो पहुंचते हैं, लेकिन 1 अक्टूबर से उन्हें तनख्वाह नहीं मिली है। परिवहन मंत्री सीन डफी ने कहा कि सिस्टम को सुरक्षित रखने के लिए टीम कड़ी मेहनत कर रही है, पर कर्मचारी अपने परिवारों के लिए दूसरी नौकरियां करने को मजबूर हैं।
इस लंबे शटडाउन का असर न सिर्फ सरकारी कर्मचारियों बल्कि आम अमेरिकियों पर भी गहरा है। लाखों लोग फूड सहायता से वंचित हैं, उड़ानें बाधित हैं और कई एजेंसियों में सुरक्षा संबंधी कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। नेशनल न्यूक्लियर सिक्योरिटी एजेंसी ने भी 1,400 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा है, जिससे परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
इस बीच अमेरिकी संसद में फिलिबस्टर की स्थिति बनी हुई है। इस प्रक्रिया के तहत सांसद किसी बिल पर बहस को लंबा खींच सकते हैं ताकि उस पर वोटिंग देर से हो या न हो सके। सीनेट में किसी भी प्रस्ताव पर बहस खत्म करने के लिए ‘क्लोटर’ प्रक्रिया के तहत 60 सीनेटरों का समर्थन जरूरी होता है। इसी नियम की वजह से ट्रम्प का फंडिंग बिल अटका हुआ है। विरोधी दल इस प्रक्रिया का इस्तेमाल जरूरी कानूनों को रोकने के लिए कर रहे हैं, जबकि पहले जब डेमोक्रेट सत्ता में थे तो रिपब्लिकन ने इसी प्रक्रिया को बचाए रखा था। अमेरिकी राजनीति में फिलिबस्टर को लोकतंत्र का संतुलन माना जाता है, लेकिन मौजूदा संकट ने इसे राजनीतिक हथियार में बदल दिया है। अगर दोनों दल समझौते पर नहीं पहुंचे तो यह शटडाउन न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था बल्कि वैश्विक बाजारों के लिए भी चिंता का विषय बन सकता है।