मुंबई, 14 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। चीन और मालदीव के बीच एक और समझौते पर दस्तखत हुआ। इसमें मालदीव को और ज्यादा कर्ज देने पर सहमति बनी है। हालांकि कर्ज की रकम कितनी है अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना और मालदीव इकोनॉमिक डेवलपमेंट मिनिस्ट्री के बीच हुए समझौते के तहत चीन और मालदीव डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देंगे और लोकल करेंसी में लेनदेन कर पाएंगे। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने कहा है कि यह समझौता बिजनेस और इन्वेस्टमेंट को मजबूत करने में मदद करेगा। चीन ने समझौते के बारे में और कुछ नहीं बताया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले साल सत्ता में आने के बाद मुइज्जू ने चीन से और कर्ज मांगा था।
तो वहीं, द इकोनॉमिस्ट के मुताबिक मालदीव इस समय भारी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। मालदीव पर पहले से चीन का 1.3 बिलियन डॉलर (लगभग 10.9 हजार करोड़ रुपए) का लोन है। यह उसके कुल विदेशी लोन का 30% है। ऐसे में चीन से मिलने वाला कोई भी कर्ज मालदीव पर बीजिंग के लोन को और बढ़ाएगा। चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्जू सरकार बनने के बाद से देश की अर्थव्यवस्था लगातार संकट में हैं और देश डिफॉल्ट होने के कगार पर खड़ा है। मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार जुलाई 2024 तक 388.41 मिलियन डॉलर (3,115 करोड़ रुपए) था। मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण (MMA) ने आशंका जाहिर की थी कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो देश में डॉलर के भंडार जल्द खत्म हो सकता है।
आपको बता दें, मालदीव में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से ही मुइज्जू ने देश में चीन को लाभ पहुंचाने वाली नीतियों को लागू करना शुरू किया और अपने पारंपरिक साझेदार भारत से दूरी बनानी शुरू कर दी थी। हालांकि, कर्ज संकट बढ़ने के बाद अब एक बार फिर से मोहम्मद मुइज्जू भारत से रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। मुइज्जू जल्द ही भारत की पहली आधिकारिक यात्रा पर आने वाले हैं। हालांकि इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है। बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव की आर्थिक मदद की पेशकश की है। भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, मालदीव, भारतीय रिजर्व बैंक के मुद्रा विनिमय कार्यक्रम के अंतर्गत 400 मिलियन डॉलर का तुरंत लाभ उठा सकता है। यह कार्यक्रम क्षेत्रीय देशों को सहायता उपलब्ध कराता है।