लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव नाटकीय रूप से बढ़ गया है। अमेरिका ने वेनेजुएला के तटों के पास कैरेबियन सागर में अपने सबसे उन्नत एयरक्राफ्ट कैरियर, यूएसएस जेराल्ड फोर्ड को तैनात कर दिया है। इस तैनाती को विशेषज्ञ लैटिन अमेरिका की राजनीति में सबसे बड़े शक्ति प्रदर्शनों में से एक मान रहे हैं, जो क्षेत्र में अस्थिरता को भड़का सकता है। अमेरिकी सैन्य बेड़े में न केवल विशाल कैरियर शामिल है, बल्कि 8 युद्धपोत, एक परमाणु पनडुब्बी और 75 अत्याधुनिक F-35 लड़ाकू विमान भी तैनात किए गए हैं। इस पूरे जंगी बेड़े में करीब 5,000 सैनिक तैनात हैं।
भू-राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के राष्ट्रपति इस बड़े सैन्य प्रदर्शन का उपयोग वेनेजुएला के बहाने वैश्विक मंच पर अपनी ताकत और दृढ़ता दिखाने के लिए कर रहे हैं। इस कदम ने वेनेजुएला के साथ चल रहे कूटनीतिक और आर्थिक विवाद को एक खतरनाक सैन्य आयाम दे दिया है।
अब तक का सबसे बड़ा 'एंटी-नारकोटिक्स' मिशन
कैरेबियन सागर में अमेरिकी सेना की इस व्यापक तैनाती को अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा एंटी-नारकोटिक्स मिशन (मादक पदार्थ रोधी अभियान) बताया जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने निकोलस मादुरो के नेतृत्व वाली वेनेजुएला सरकार पर लंबे समय से नशा तस्करों और कार्टेलों को शरण देने का आरोप लगाया है। दोनों देशों के बीच विवाद तब चरम पर पहुंचा जब राष्ट्रपति ट्रंप की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में वेनेजुएला को 'नार्को-टेरर कार्टेल' घोषित कर दिया। इसके अलावा, वेनेजुएला के एक प्रमुख संगठित अपराध समूह, ट्रेन डे अरागुआ गैंग को भी विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) घोषित कर दिया गया। अमेरिका का आरोप है कि मादुरो सरकार ड्रग तस्करी के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य कर रही है, जिससे अमेरिका और क्षेत्र की सुरक्षा को गंभीर खतरा है।
चुनाव विवाद और मादुरो पर दबाव
अमेरिका-वेनेजुएला विवाद की हालिया चिंगारी जुलाई 2024 में हुए वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुनाव से निकली है। निकोलस मादुरो ने इन चुनावों में अपनी जीत की घोषणा करते हुए तीसरे कार्यकाल का दावा पेश किया। हालांकि, अमेरिका और कई पश्चिमी देशों ने मादुरो की जीत को धांधली करार देते हुए इसे मानने से इनकार कर दिया और विपक्षी नेता एडमुंडो गोंजालेज को चुनाव का वास्तविक विजेता बताया। जनवरी 2025 में मादुरो सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू होते ही, अमेरिका ने वेनेजुएला पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पहले से कहीं अधिक दबाव में आ गई। मादुरो सरकार का तानाशाही रुख तब और स्पष्ट हो गया, जब विपक्षी नेता मारिया कोरिना माचाडो को वर्ष 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला। मादुरो सरकार ने पुरस्कार को अस्वीकार करते हुए तानाशाही प्रतिक्रिया दी और नॉर्वे में अपने दूतावास को बंद करने की घोषणा कर दी।
सैन्य तैनाती: तनाव का नया स्तर
कैरेबियन सागर में एयरक्राफ्ट कैरियर और लड़ाकू विमानों की तैनाती ने इस राजनीतिक और आर्थिक टकराव को सैन्य झड़प की आशंका तक पहुंचा दिया है। वेनेजुएला के बहाने, अमेरिकी सरकार क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति को मजबूत कर रही है। यह कदम वेनेजुएला की संप्रभुता के लिए एक सीधा खतरा माना जा रहा है और मादुरो सरकार से कूटनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर सख्त प्रतिक्रिया की उम्मीद है। यह तैनाती पूरे लैटिन अमेरिकी राजनीतिक परिदृश्य में तनाव को भड़का सकती है, जहां कई देश अमेरिका के इस एकतरफा सैन्य कदम को संदेह की दृष्टि से देख सकते हैं। सैन्य तैनाती, हवाई हमलों और कूटनीतिक झड़पों में वृद्धि ने पहले से ही अस्थिर इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। वेनेजुएला संकट अब केवल आंतरिक राजनीतिक या आर्थिक मुद्दा नहीं रह गया है; यह मादक पदार्थ, आतंकवाद के आरोप, चुनाव की वैधता और अंतर्राष्ट्रीय शक्ति प्रदर्शन का एक जटिल भू-राजनीतिक टकराव बन गया है।