प्रयागराज न्यूज डेस्क: प्रयागराज में गंगा-यमुना का जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन बाढ़ प्रभावित परिवारों को राहत मिलने में अभी भी समय लग सकता है। बैराजों से गंगा में पानी का डिस्चार्ज बढ़ाया जा रहा है, जिससे जलस्तर कम होने की गति धीमी हो गई है।
कानपुर बैराज से मंगलवार को 2,96,693 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जबकि सोमवार को 2,73,981 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। यह बढ़ा हुआ डिस्चार्ज जलस्तर कम होने की गति को धीमा कर रहा है।
बाढ़ से प्रभावित हजारों परिवारों को अभी भी सहायता की आवश्यकता है। प्रशासन को राहत कार्यों में तेजी लाने और प्रभावित लोगों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने की जरूरत है।
प्रयागराज में गंगा नदी का जलस्तर अभी भी खतरे के निशान पर है, और बैराजों से छोड़े जा रहे पानी के कारण यह जलस्तर और बढ़ने की संभावना है। सामान्य दिनों में बैराज से तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है, लेकिन इस समय गंगा का कछार लबालब होने से बाढ़ की स्थिति कुछ दिन और बनी रहने की संभावना है।
नरोरा बैराज से 1,62,668 क्यूसेक और हरिद्वार बैराज से 80,031 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो प्रयागराज तक पहुंचेगा। इसके अलावा, टोंस नदी में 7,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिससे गंगा का जलस्तर फिर बढ़ने की संभावना है।
फिलहाल, गंगा का जलस्तर ढाई मिलीमीटर प्रति घंटे की दर से घट रहा है, लेकिन यह दर धीमी होने से बाढ़ की स्थिति में सुधार होने में समय लग सकता है। प्रशासन को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में तेजी लाने और प्रभावित लोगों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने की जरूरत है।
प्रयागराज में गंगा-यमुना की बाढ़ की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, लेकिन बारिश और बैराजों से छोड़े जा रहे पानी के कारण राहत मिलने में देरी हो सकती है। यमुना का जलस्तर रात में एक सेमी प्रति घंटे की दर से घट रहा था, लेकिन गंगा के दबाव के कारण इसका असर नहीं हो रहा है।
बांदा में यमुना और इसकी सहायक नदियों का जलस्तर घट गया है, लेकिन प्रयागराज में गंगा का दबाव बना हुआ है। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता डीएन शुक्ला ने बताया कि अलग-अलग बैराजों से छोड़ा जा रहा पानी प्रयागराज आएगा और इससे बाढ़ की स्थिति में सुधार होने में समय लग सकता है।
गंगा का जलस्तर छतनाग में तेजी से कम होने पर ही कछारी इलाकों को जल्दी राहत मिलेगी। बारिश और तेज हवा के कारण गंगा में समंदर जैसी लहरें उठ रही हैं, जिससे बाढ़ की स्थिति और खराब हो सकती है। प्रशासन को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में तेजी लाने और प्रभावित लोगों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने की जरूरत है।