प्रयागराज न्यूज डेस्क: प्रयागराज (संगमनगरी) में लंबे समय से अटकी लाइट मेट्रो परियोजना को एक बार फिर रफ्तार मिलने की उम्मीद जगी है। शुक्रवार को इस परियोजना को लेकर पीडीए, सेना के अधिकारी, मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सिविल अर्बन इंजीनियरिंग व सस्टेनेबिलिटी विभाग के बीच एक अहम बैठक होने जा रही है। इस बैठक में मेट्रो के कॉरिडोर, डिपो और स्टेशन के लिए जरूरी सैन्य भूमि को लेकर चर्चा होगी। साथ ही अफसर स्थल का निरीक्षण भी करेंगे।
गौरतलब है कि इस परियोजना की शुरुआत साल 2016 में हुई थी, लेकिन नौ साल बाद भी मेट्रो ट्रेन धरातल पर नहीं उतर पाई है। अब तक 35 से ज़्यादा बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन सेना से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) नहीं मिलने के कारण डीपीआर भी फाइनल नहीं हो सका। इससे पहले 18 मार्च 2025 को प्रस्तावित बैठक स्थगित हो गई थी। अब 14 जून शुक्रवार को दोबारा सभी विभागों के अधिकारी बैठक करेंगे।
इस परियोजना में कुल 44 किलोमीटर लंबा मेट्रो कॉरिडोर दो चरणों में बनेगा। पहले चरण में बमरौली से झूंसी सिटी लेक फॉरेस्ट तक 23 किलोमीटर में 21 स्टेशन और दूसरे चरण में शांतिपुरम से छिवकी तक 21 किलोमीटर में 10 स्टेशन बनाए जाने हैं। करीब 40 हेक्टेयर ज़मीन पर मेट्रो का कॉरिडोर, स्टेशन और डिपो बनाने की योजना है, जिसमें अधिकतर भूमि रक्षा मंत्रालय की है।
इस ज़मीन के इस्तेमाल के लिए रक्षा मंत्रालय की मंज़ूरी ज़रूरी है। शुक्रवार को प्रस्तावित बैठक और संयुक्त स्थल निरीक्षण के बाद अगर सेना की तरफ से अनापत्ति मिलती है तो डीपीआर को राज्य सरकार को भेजा जाएगा। भारत सरकार के उपक्रम मेसर्स राइट्स लिमिटेड द्वारा डीपीआर तैयार की जा रही है। अगर सबकुछ तय योजना के अनुसार हुआ तो प्रयागराज की जनता को मेट्रो चलने की उम्मीद फिर से नजर आने लगी है।