मुंबई, 28 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव केस में 28 जुलाई को दो आरोपियों वेरनन गोंजाल्वेस और अरुण फरेरा को जमानत दे दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दोनों आरोपियों को कस्टडी में 5 साल हो चुके हैं। उन पर गंभीर आरोप हैं, लेकिन केवल इस आधार पर उन्हें जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को 5 शर्तों पर जमानत दी है। कहा है की, दोनों आरोपी महाराष्ट्र नहीं छोड़ सकते हैं, दोनों आरोपियों के पास एक-एक मोबाइल रहेगा और मोबाइल फोन कभी स्विच्ड ऑफ नहीं होगा, अपनी लोकेशन भी हमेशा ऑन रखेंगे साथ ही आरोपियों का फोन इस केस के इंचार्ज NIA अफसर से पेयर रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
वहीं, द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, गोंजाल्वेस और फरेरा को 2018 में मुंबई की तलोजा जेल भेजा गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत नामंजूर होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। दोनों ने कहा था कि हाईकोर्ट ने उनकी बेल एप्लीकेशन को खारिज कर दिया, जबकि सह आरोपी सुधा भारद्वाज को जमानत दे दी। दरअसल, पुणे में एल्गर परिषद सभा 31 दिसंबर 2017 को हुई थी। पुलिस के मुताबिक, इसकी फंडिंग नक्सलियों ने की थी। पुलिस का आरोप था कि सभा में भड़काऊ भाषण के चलते पुणे के भीमा-कोरेगांव वॉर मेमोरियल पर अगले दिन यानी 1 जनवरी 2018 को हिंसा भड़क गई।