मुंबई, 06 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बड़ी घोषणा की है। सुप्रीम कोर्ट में साइन लैंग्वेज इंटरप्रिटर अपॉइंट किया गया है। इससे मूक बधिर वकील भी सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ सकेंगे। इंटरप्रिटर उनकी साइन लैंग्वेज को समझकर उनके तर्कों को कोर्ट को समझाएगा। दरअसल, 22 सितंबर को पहली बार एक मूक-बधिर वकील सारा सनी ने सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ा था। उस दौरान उनके इंटरप्रिटर सौरभ रॉय चौधरी थे, जिन्होंने सारा के इशारों को समझकर कोर्ट को बताया था। सारा का केस दिव्यांगों (PwD) के अधिकारों से जुड़ा हुआ था। इसी सुनवाई में CJI चंद्रचूड़ ने कहा था कि वे कॉन्स्टिट्यूशन बेंच की सुनवाई के लिए एक इंटरप्रिटर चाहते हैं।
तो वहीं, सारा के मामले की सुनवाई CJI चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 22 सितंबर को की थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सारा के इंटरप्रेटर सौरभ को अपना वीडियो ऑन रखने की अनुमति नहीं दी थी, लेकिन जिस तेजी से वे सारा के इशारों को समझकर कोर्ट को बता रहे थे, उससे जाहिर ही नहीं हो रहा था कि सारा अपनी बात इशारों में कह रही हैं। ऐसे में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित सुनवाई के लिए वर्चुअली जुड़े सभी लोगों को सौरभ को देखने की उत्सुकता हुई। इसके बाद कोर्ट ने सौरभ को भी वीडियो ऑन करने की इजाजत दे दी। सुनवाई खत्म होने के बाद सभी ने सौरभ के काम की तारीफ भी की। वहीं, वकील सारा ने सौरभ और CJI की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि CJI खुले विचारों वाले शख्स हैं, उनकी वजह से दिव्यांगों के लिए नए मौके पैदा हुए हैं। मामले की सुनवाई के लिए मैं वहां नहीं थी। इसलिए मेरी सीनियर संचिता ने केस की सुनवाई वर्चुअली करने की व्यवस्था की। वे साबित करना चाहती थीं कि दिव्यांग लोग भी किसी से पीछे नहीं हैं। साथ ही, पिछले साल CJI ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में कॉम्प्रिहेंसिव एक्सेसिबिलिटी ऑडिट के लिए कमेटी बनाई थी। उनके इस कदम का उद्देश्य न्याय प्रणाली को सुलभ बनाना और स्पेशल लोगों की चुनौतियों को समझना था।