मुंबई, 10 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। AAP के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा से निलंबन के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसके अलावा उन्होंने सरकारी बंगला खाली करने का आदेश देने वाले ट्रायल कोर्ट के फैसले को भी दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिस पर जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरुला की बेंच 11 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। राघव ने दोनों याचिकाएं 10 अक्टूबर को दाखिल कीं। आपको बता दें, संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन 11 अगस्त को राघव चड्ढा राज्यसभा से निलंबित हुए थे। दरअसल, राघव चड्ढा पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली सर्विस (अमेंडमेंट) बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने के प्रस्ताव पर सांसदों के फर्जी दस्तखत कराए। भाजपा की शिकायत के बाद यह मामला संसद की विशेषाधिकार समिति के पास जांच के लिए भेज दिया गया। साथ ही, राघव चड्ढा मार्च 2022 में राज्यसभा सांसद चुने गए थे। 6 जुलाई 2022 को उन्हें दिल्ली के पंडारा पार्क स्थित टाइप-6 बंगला नंबर C-1/12 अलॉट किया गया था। 29 अगस्त 2022 को AAP सांसद ने राज्यसभा चेयरमैन से टाइप-7 बंगला अलॉट करने का आग्रह किया था। 3 सितंबर 2022 को राघव चड्ढा को राज्यसभा कोटे से पंडारा रोड पर टाइप-7 बंगला नंबर AB-5 अलॉट किया गया। वे 9 नवंबर 2022 को इस बंगले में शिफ्ट हो गए। इसके बाद राज्यसभा सचिवालय ने AAP सांसद राघव चड्ढा को टाइप-7 बंगले के लिए अपात्र बताया। सचिवालय ने कोर्ट को बताया कि पहली बार चुने गए सांसदों को टाइप-6 बंगला आवंटित किया जाता है। राज्यसभा सचिवालय ने 3 मार्च को राघव चड्ढा के टाइप-7 बंगले का अलॉटमेंट रद्द करते हुए बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया था। इसके खिलाफ राघव कोर्ट पहुंचे।
तो वहीं, राघव चड्ढा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि भाजपा लगातार दुष्प्रचार कर रही है, झूठ बोल रही है। उन्होंने मीडिया को एक दस्तावेज दिखाया और कहा, यह राज्यसभा सेक्रेटेरिएट का बुलेटिन है। इसमें कहीं भी दस्तखत, फर्जीवाड़ा, फोर्जरी, जालसाजी जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं है। सिर्फ इतना कहा गया है कि इसकी जांच की जाए। अगर भाजपा के पास प्रूफ है, तो वह इसे दिखाए। राज्यसभा में 7 अगस्त को रात 10 बजे दिल्ली सर्विसेज (अमेंडमेंट) बिल पास किया गया था। इससे पहले चड्ढा ने बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव पेश किया था। साथ ही, बंगला खाली करने को लेकर भी वह कोर्ट पहुंचे है, उन्होंने कोर्ट में बताया था कि बतौर सांसद अभी उनका कार्यकाल चार साल से ज्यादा समय का बचा हुआ है। ऐसे में उन्हें बंगले में रहने का अधिकार है। हालांकि, कोर्ट ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया। इसके बाद दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरुवार ने अपने अंतरिम आदेश में राज्यसभा सचिवालय को राघव चड्ढा से बंगला खाली न करवाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा- राघव चड्ढा को टाइप-7 बंगले में रहने का विशेषाधिकार दिया गया था। वे बंगले में रहने के अधिकार का दावा नहीं कर सकते। 5 अक्टूबर को कोर्ट ने अपने इस फैसले को वापस ले लिया था।