मुंबई, 06 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। केंद्र सरकार द्वारा स्कूली छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड बांटने की योजना को लेकर नेशनल पॉलिसी तैयार कर ली गई है। केंद्र सरकार ने इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी। और आम लोगों की राय जानने के लिए कोर्ट से 4 हफ्ते का समय भी मांगा। CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि छात्राओं को सैनिटरी नैपकिन बांटे जाने की प्रक्रिया एक समान होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि देश के सभी सरकारी और रहवासी स्कूलों में लड़कियों की संख्या के अनुपात में टॉयलेट का निर्माण कराने के लिए नेशनल मॉडल बनाएं।
दरअसल, सोशल वर्कर जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करके लड़कियों की स्वास्थ्य सुरक्षा पर चिंता जताई थी। याचिका में बताया था कि पीरियड में होने वाली दिक्कतों के कारण कई लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं, क्योंकि उनके परिवार के पास पैड पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं होते हैं और कपड़ा यूज करके उन दिनों में स्कूल जाना परेशानी का कारण बनता है। स्कूलों में भी लड़कियों के लिए फ्री पैड की सुविधा नहीं है। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इतना ही नहीं, स्कूलों में यूज्ड पैड को डिस्पोजल करने की सुविधा भी नहीं है, इस वजह से भी लड़कियां पीरियड्स में स्कूल नहीं जा पातीं।
आपको बता दें, इस मामले में 10 अप्रैल की सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से स्कूलों में लड़कियों के टॉयलेट की उपलब्धता और सैनिटरी पैड की सप्लाई को लेकर जानकारी भी मांगी थी। साथ ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सैनिटरी पैड और सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन के लिए किए गए खर्च का ब्योरा देने को भी कहा था। इसके बाद 24 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उन राज्यों को चेतावनी दी, जिन्होंने तब तक फ्री सैनिटरी नैपकिन देने के लिए एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने पर केंद्र को अपना जवाब नहीं सौंपा था। कोर्ट ने कहा कि अगर वे 31 अगस्त तक जवाब नहीं देते हैं तो सख्ती की जाएगी। इसके लिए कोर्ट ने 4 हफ्ते का समय दिया था। हालांकि केंद्र यह पॉलिसी करीब 7 महीने बाद ड्राफ्ट कर पाया।