मुंबई, 21 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि, मैं शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने में देर नहीं करूंगा, लेकिन इस मामले में जल्दबाजी भी नहीं करूंगा। उन्होंने कहा, जल्दबाजी करना मिसकैरेज ऑफ जस्टिस हो सकता है। मैं जो भी फैसला लूंगा, संवैधानिक होगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को शिवसेना शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि आप इस मामले पर फैसला लंबे समय तक टाल नहीं सकते। आपको इसकी समय सीमा तय करनी होगी। साथ ही, एकनाथ शिंदे गुट के 16 बागी विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला सुनाया था। इसमें कोर्ट ने बागी विधायकों की सदस्यता पर फैसला स्पीकर पर छोड़ दिया था। वहीं, उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले पर फिर से विचार करने की अपील की थी। उन्होंने याचिका में तर्क दिया था- विधानसभा अध्यक्ष मामले को जानबूझकर टाल रहे हैं। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दोनों मामले पर सुनवाई की।
महाराष्ट्र में शिवसेना शिंदे गुट और उद्धव गुट की ओर से एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिकाओं पर 14 सितंबर को सुनवाई हुई थी। यह सुनवाई विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विधानसभा के सेंट्रल हॉल में की। वहीं, न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, मामले की सुनवाई 14 सितंबर को सुबह 10:30 बजे से दोपहर 2 बजे तक हुई। इसके बाद शिंदे गुट के वकील अनिल साखरे ने मीडिया से कहा- हमें उद्धव गुट की ओर से दस्तावेज नहीं मिले हैं। जवाब में ठाकरे गुट के विधायक रवींद्र वायकर ने कहा कि यह शिंदे गुट की रणनीति का हिस्सा है। यह विधानसभा अध्यक्ष का काम है कि वो दोनों गुटों को मामले से जुड़े दस्तावेज मुहैया कराएं। हम चाहते हैं कि इस मामले में 34 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, सबको जोड़कर एक साथ सुना जाए।
आपको बता दें, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में पार्टी से बगावत की थी। इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद शिंदे ने शिवसेना पर अपना दावा कर दिया। 16 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया। साथ ही शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चिह्न (तीर-कमान) को इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। उद्धव गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।