मुंबई, 29 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। तमिलनाडु के साथ कावेरी नदी के जल बंटवारे के विरोध में कर्नाटक बंद खत्म हो गया। कन्नड़ और किसान संगठनों के प्रमुख कन्नड़ ओक्कूटा संघ ने सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 12 घंटे का बंद बुलाया था। विपक्षी भाजपा, जनता दल सेक्युलर और कन्नड़ फिल्म जगत की हस्तियों ने भी बंद के समर्थन में राज्य के विभिन्न जिलों में प्रदर्शन किया। वहीं, कर्नाटक पुलिस ने 700 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। प्रदर्शनकारी हाईवे, टोल गेट्स, रेल सेवाएं बंद कराने की कोशिश की। दुकानें, शॉपिंग मॉल, मूवी थिएटर्स, होटल और रेस्त्रां बंद रहे। मेट्रो-बस सर्विस चालू थीं, लेकिन बंद के दौरान भीड़ ना के बराबर थी। बेंगलुरु और मांड्या में प्रशासन ने स्कूल-कॉलेज में छुट्टी का ऐलान किया था। वहीं, कैम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के PRO के मुताबिक, बेंगलुरु आने-जाने वाली 44 फ्लाइट्स कैंसिल कर दी गईं। इससे पहले 26 सितंबर को बेंगलुरु बंद के दिन 200 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई थी।
CM सिद्धारमैया ने राज्य के डिप्टी CM और सिंचाई मंत्री डीके शिवकुमार के साथ मीटिंग की। बैठक के बाद सीएम ने कहा, मैंने आज सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों, अपनी कानूनी टीम से बात की है। उनकी सलाह के बाद तय करेंगे कि क्या करना है, देखते हैं आगे क्या होता है। तो वहीं, कर्नाटक के पूर्व सीएम एच डी कुमारस्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, जब जल, भाषा और पानी का सवाल आता है, तो सभी को एकजुट होना चाहिए। कन्नड़ परिवार की एकजुटता पड़ोसी राज्यों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए। सरकार को कन्नड़ भावनाओं को दबाना नहीं चाहिए। जिन प्रदर्शनकारियों को पहले से हिरासत में लिया गया है, उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, शांतिपूर्ण तरीके से कर्नाटक बंद चल रहा है। सभी लोग सहयोग कर रहे हैं। हमने सबको सुरक्षा दी है। संस्थानों से अनुरोध किया है कि वे बंद का आह्वान न करें क्योंकि सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट से इसकी सहमति नहीं है। तो वहीं, बेंगलुरु अर्बन, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, रामानगर और हसन में धारा 144 लागू की गई है। इन जिलों में सभी शैक्षणिक संस्थाएं बंद हैं।
दरअसल, कावेरी वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी (CWMA) ने 13 सितंबर को एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया कि कर्नाटक अगले 15 दिन तक तमिलनाडु को कावेरी नदी से 5 हजार क्यूसेक पानी दे। कर्नाटक के किसान संगठन, कन्नड़ संस्थाएं और विपक्षी पार्टियां इसी फैसले का विरोध कर रही हैं। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी से जुड़ा यह विवाद 140 साल पुराना है।