मुंबई, 21 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में 1 दिसंबर को सुनवाई होगी। अदालत ने उन याचिकाओं को सुनवाई के लिए लिस्टेड किया, जिनमें UCC लागू करने की मांग की गई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर पहले ही फैसला कर लिया होता तो हम कुछ नहीं कर सकते थे। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अगुआई वाली बेंच ने कहा, मार्च में शीर्ष कोर्ट की संविधान पीठ ने एक याचिका पर विचार करने से मना कर चुकी है। ये पिटीशन वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने 'जेंडर न्यूट्रल' और 'रिलीजन न्यूट्रल' कानूनों के लिए दायर की थी। हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वालों में भी उपाध्याय शामिल हैं। शीर्ष कोर्ट ने याचिकाओं पर आगे सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि कार्यवाही के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। साथ ही उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में जिन दस्तावेजों का जिक्र किया था, उन्हें भी पेश नहीं किया।
तो वहीं, अप्रैल में हाईकोर्ट के तब चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा था कि उपाध्याय की याचिका प्रथम दृष्टया विचारणीय नहीं है। उन्होंने उपाध्याय से उन दस्तावेजों को प्रस्तुत करने को कहा, जो सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी गईं। इस पर हाईकोर्ट को बताया गया कि शीर्ष अदालत ने मार्च में उपाध्याय की याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया था। साथ ही कहा था कि मामला विधायी क्षेत्र में आता है और 2015 में उपाध्याय ने UCC के संबंध में एक याचिका वापस भी ले ली थी। हाईकोर्ट के समक्ष उपाध्याय की याचिका के अलावा चार और याचिकाएं हैं जिनमें दलील दी गई है कि भारत को तत्काल समान नागरिक संहिता की जरूरत है।