मुंबई, 06 फरवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। आंध्र प्रदेश में भाजपा ने तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) से 1 हजार गैर-हिंदू कर्मचारियों को हटाने की मांग की। आंध्र प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता और TTD के सदस्य भानु प्रकाश रेड्डी ने कहा, बोर्ड के प्रतिनिधि 14 फरवरी को मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से मिलेंगे और गैर-हिंदुओं को मंदिरों की सेवाओं से हटाने का निवेदन करेंगे। दूसरी तरफ वाईएसआरसीपी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इस मुद्दे पर बयान देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा- मुझे इसके बारे में डिटेल से पता नहीं है। इससे पहले TTD ने बुधवार को मंदिर के 18 कर्मचारियों को हटाने की जानकारी दी थी। इन सभी को TTD के नियमों के खिलाफ जाकर काम करने का दोषी पाया गया है। ट्रस्ट ने सभी 18 कर्मचारियों के सामने दो शर्तें रखी हैं, या तो सभी किसी दूसरे सरकारी विभाग में ट्रांसफर ले लें या फिर VRS (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले लें। ऐसा मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए किया जा रहा है।
TTD ने बयान में कहा, यह कार्रवाई TTD अध्यक्ष बीआर नायडू के निर्देश पर की गई। संस्थान में काम के दौरान गैर-हिंदू धार्मिक प्रथा फॉलो करने वाले 18 कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लिया गया है। ये सभी TTD में काम करने के बावजूद गैर-हिंदू धार्मिक परंपराओं को फॉलो कर रहे हैं। अब इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। टीटीडी अध्यक्ष नायडू ने कहा, हमने कुछ TTD कर्मचारियों की पहचान की, जो गैर-हिंदू हैं। इन लोगों से VRS लेने का अनुरोध किया जाएगा। अगर वे इसके लिए राजी नहीं होते हैं तो उन्हें राजस्व, नगर पालिका या किसी निगम जैसे सरकारी विभागों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। मैंने 4 फरवरी को बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। तिरुमला में पॉलिटिकल बयानों पर रोक लगाने वाला प्रस्ताव भी बोर्ड मीटिंग में पारित किया गया। इसमें कहा गया है कि TTD नियमों का उल्लंघन करने वालों के साथ-साथ पॉलिटिकल पार्टियों का प्रचार करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
TTD के फैसले के 3 आधार है की, पिछले कुछ सालों में TTD अधिनियम में 3 बार संशोधन किया गया है। तय किया गया कि मंदिर बोर्ड और उससे जुड़े संस्थानों में केवल हिंदुओं को ही नियुक्त किया जाना चाहिए। 1989 में जारी एक सरकारी आदेश में भी कहा गया कि TTD के एडमिनिस्ट्रेटिव पदों पर केवल हिंदुओं को ही चुना जाएगा। इस निर्णय को संविधान के अनुच्छेद 16(5) का समर्थन है। धार्मिक या सांप्रदायिक प्रकृति के संस्थानों को अपने स्वयं के धर्म के सदस्यों को नियुक्त करने की परमिशन दी गई है। इसी तरह आंध्र प्रदेश चैरिटेबल और हिंदू धार्मिक संस्थान और बंदोबस्ती अधीनस्थ सेवा नियम के नियम 3 में कहा गया है कि धार्मिक संस्थानों के कर्मचारियों को हिंदू धर्म का पालन करना चाहिए। नवंबर 2023 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने नियम 3 को बरकरार रखा। इसमें साफ कहा गया है कि ट्रस्ट बोर्ड को सेवा शर्तों को अनिवार्य करने का अधिकार है, जिसमें कर्मचारियों के लिए हिंदू धर्म का पालन करना आवश्यक है।