मुंबई, 13 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बच्चे की कस्टडी उसकी बुआ को सौंप दी। कोर्ट को जांच में पता चला कि लड़के की मां मनोरोगी है और पिता बहुत ज्यादा गुस्सैल है। जस्टिस आरआई छागला ने कहा कि मैंने लड़के के साथ बातचीत की और पाया कि वह याचिकाकर्ता से भावनात्मक रूप से जुड़ा है, क्योंकि वह जन्म से ही उसकी देखभाल कर रही थी। जस्टिस छागला ने कहा कि अदालत को ऐसे मसलों को सुनते समय बच्चे की मानसिक-शारीरिक भलाई पर भी ध्यान देना चाहिए। लड़के की बुआ ने कोर्ट में 5 अक्टूबर को याचिका लगाई थी, जिस पर कोर्ट ने कस्टडी सौंपने का आदेश जारी किया।
दरअसल, सुनवाई के दौरान पता चला कि जिस बच्चे की कस्टडी मांगी जा रही है, उसकी मां गंभीर मानसिक रोगी है। इसके बाद अदालत ने कहा लड़के का पिता भी बहुत आक्रामक है। कोर्ट ने फैसला सुनाने के बाद कहा, नाबालिग बच्चे की लाइफ को देखते हुए याचिकाकर्ता को उसका वैलिड गार्जियन घोषित किया जाना जरूरी है। हालांकि, अदालत ने माता-पिता को नाबालिग बच्चे से मिलने की अनुमति दे दी है। वहीं, याचिकाकर्ता महिला ने दावा किया था कि जब बच्चे का जन्म हुआ था तो उसके भाई और भाभी ने बच्चे की कस्टडी उसे सौंपने पर सहमत हो गए थे। इसलिए जहां बच्चे का जन्म हुआ था, उस अस्पताल ने बुआ के नाम पर डिस्चार्ज कार्ड जारी किया था। उन्होंने आगे कहा कि जब भी बच्चा अपने माता-पिता के घर जाता था तो वह बीमार पड़ जाता था और उसका इलाज कराना पड़ता था। आपको बता दें, याचिकाकर्ता महिला विधवा है और उसकी अपनी कोई औलाद नहीं है। उसने यह भी दावा किया था कि वह बच्चे की देखभाल करने के लिए आर्थिक रूप से भी सक्षम है।