मुंबई, 09 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। ओडिशा के बालासोर में ट्रिपल टेन एक्सीडेंट में 297 लोगों की मौत हुई थी। जिसमें 269 शवों को उनके घरवाले ले गए। अभी 28 शव ऐसे हैं जिन्हें कोई लेने नहीं आया। अब इन लावारिस शवों के दाह संस्कार का जिम्मा भुवनेश्वर नगर निगम (BMC) को सौंपा जा रहा है। BMC के अधिकारियों ने 28 अज्ञात शवों को डिस्पोज ऑफ करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नगर निगम ने इन शवों को वैज्ञानिक तरीके से डिस्पोज ऑफ करने के लिए एक SOP जारी की है। दरअसल, चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस 2 जून की शाम को मेन लाइन की बजाय लूप लाइन में चली गई, जहां मालगाड़ी खड़ी थी। ट्रेन मालगाड़ी से टकरा गई। कोरोमंडल और मालगाड़ी की कुछ बोगियां बगल के ट्रैक पर बिखर गईं। इसके थोड़ी देर बाद ही ट्रैक पर बिखरे डिब्बों से हावड़ा-बेंगलुरु एक्सप्रेस टकरा गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, हादसे में 293 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए।
तो वहीं, BMC मेयर सुलोचना दास ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, शवों को CBI अधिकारियों की मौजूदगी में निगम को सौंप दिया जाएगा। हम मंगलवार यानि 10 अक्टूबर को दाह संस्कार की योजना बना रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि ट्रेन दुर्घटना की जांच कर रही CBI ने खुर्दा जिला कलेक्टर को लेटर लिखकर शवों को डिस्पोज ऑफ करने को कहा था। जून में हुई दुर्घटना के बाद से शव एम्स भुवनेश्वर में रखे गए थे। BMC की तरफ से जारी SOP के मुताबिक, पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाएगी। एम्स भुवनेश्वर में 162 शव रखे गए थे और उनमें से 81 को मृतकों के परिवार को सौंप दिया गया था। बाद में, DNA टेस्ट के बाद अन्य 53 शव परिवार के सदस्यों को दे दिए गए, लेकिन 28 डेडबॉडी को लेने कोई नहीं आया। शवों को पारादीप पोर्ट ट्रस्ट से खरीदे गए कम से कम पांच डीप फ्रीजर कंटेनरों में रखा गया था।
आपको बता दें, हादसे में CBI की चार्जशीट में तीन रेलवे अफसरों के नाम हैं। तीनों पर गैर-इरादतन हत्या और सबूत मिटाने के आरोप हैं। इनमें सीनियर सेक्शन इंजीनियर अरुण कुमार मोहंता, सेक्शन इंजीनियर मोहम्मद आमिर खान और टेक्नीशियन पप्पू कुमार शामिल हैं। 7 जुलाई को CBI ने तीनों आरोपियों को अरेस्ट किया था। 11 जुलाई को कोर्ट ने इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। साथ ही, हादसे की जांच CBI के अलावा रेलवे बोर्ड की ओर से कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (CRS) ने भी की। 3 जुलाई को CRS ने 40 पेज की रिपोर्ट बोर्ड को सौंपी थी। इसके मुताबिक लेवल-क्रॉसिंग लोकेशन बॉक्स के अंदर तारों की गलत लेबलिंग की वजह से ऑटोमेटेड सिग्नलिंग सिस्टम में गड़बड़ी हुई, जो हादसे का कारण बनी। क्रॉसिंग लोकेशन बॉक्स में तारों की गलत लेबलिंग के बारे में सालों तक मालूम ही नहीं चला। मेंटेनेंस के दौरान भी इसमें गड़बड़ी हुई।