बिहार की राजनीति में एक बार फिर शैक्षणिक योग्यता और नियुक्तियों को लेकर विवाद गहरा गया है। इस बार निशाने पर हैं जनता दल यूनाइटेड (JDU) कोटे के कद्दावर मंत्री अशोक चौधरी। कांग्रेस ने मंत्री की पीएचडी की डिग्री को 'संदिग्ध' बताते हुए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इस मुद्दे ने न केवल सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि बिहार के शिक्षित बेरोजगारों के अधिकारों की बहस को भी नई हवा दे दी है।
क्या है पूरा मामला?
विवाद की जड़ पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय (PPU) में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ी है। विश्वविद्यालय में कुल 280 रिक्तियों के विरुद्ध अंतिम रूप से चयनित 274 उम्मीदवारों की एक सूची जारी की गई थी, जिसमें मंत्री अशोक चौधरी का नाम भी शामिल था।
कांग्रेस का दावा है कि राजनीति शास्त्र (Political Science) विषय में जिन 18 अभ्यर्थियों को अंतिम रूप से नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया, उनमें अशोक चौधरी का नाम नदारद है। इसी विसंगति को आधार बनाकर कांग्रेस ने मंत्री की डिग्री और चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस के प्रहार: "प्रतिभा का मजाक और अधिकार पर डाका"
बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने इस मामले को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया। उनके आरोपों के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
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संदिग्ध डिग्री: कांग्रेस का आरोप है कि विभाग ने स्वयं मंत्री की डॉक्टरेट उपाधि (Ph.D.) को संदिग्ध माना है और इसकी उच्च स्तरीय जांच की अनुशंसा की है।
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बेरोजगारों के साथ अन्याय: प्रवक्ता ने इसे बिहार की मेधावी प्रतिभाओं का अपमान बताया। उन्होंने तंज कसते हुए पूछा कि क्या बिहार में मंत्रियों को 'घर बैठे डिग्री' बांटने और उन्हें प्रोफेसर बनाने की कोई विशेष योजना चल रही है?
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नैतिकता का सवाल: कांग्रेस ने मांग की है कि मंत्री अशोक चौधरी सार्वजनिक रूप से अपनी डिग्री की प्रामाणिकता पेश करें और साबित करें कि उनकी उपाधि फर्जी नहीं है।
सरकार का पक्ष: शिक्षा मंत्री की सफाई
इस बढ़ते राजनीतिक विवाद के बीच शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने सरकार का पक्ष रखते हुए स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने स्वीकार किया कि अशोक चौधरी की नियुक्ति प्रक्रिया फिलहाल रोक दी गई है।
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विभागीय समीक्षा: शिक्षा मंत्री ने बताया कि विभागीय स्तर पर की गई समीक्षा में मंत्री के कुछ सर्टिफिकेट्स (प्रमाणपत्रों) में 'कमियां' पाई गई हैं।
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आयोग से मंतव्य: इस मामले को संबंधित आयोग के पास भेजा गया है ताकि तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर विशेषज्ञ राय ली जा सके।
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जांच जारी: सुनील कुमार ने आश्वासन दिया कि पूरे मामले की गहराई से जांच की जा रही है। जो भी अंतर या विसंगतियां सामने आई हैं, उन पर जांचोपरांत उचित निर्णय लिया जाएगा।