प्रयागराज: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें यह दावा किया गया है कि प्रयागराज में हाल ही में संपन्न महाकुंभ 2025 के दौरान गंगा और यमुना नदियों का पानी स्नान के लिए उपयुक्त पाया गया। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अलग-अलग दिनों और स्थानों पर लिए गए जल नमूनों में गुणवत्ता का अंतर देखा गया, लेकिन स्नान के लिए जल की गुणवत्ता सुरक्षित रही।
रिपोर्ट 7 मार्च को हुई सार्वजनिक
सीपीसीबी की यह रिपोर्ट 28 फरवरी को तैयार हुई थी, जिसे 7 मार्च को एनजीटी की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि महाकुंभ के मुख्य स्नान पर्वों के दौरान प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के किनारे पानी की गुणवत्ता स्नान मानकों के अनुरूप थी। सीपीसीबी ने 12 जनवरी से महाकुंभ के दौरान हर सप्ताह दो बार गंगा के पांच स्थानों और यमुना के दो स्थानों पर पानी की गुणवत्ता की निगरानी की थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जल गुणवत्ता में अंतर सीवेज डिस्चार्ज, सहायक नदियों के प्रवाह और मौसमी परिस्थितियों के कारण हुआ।
रिपोर्ट में क्या-क्या सामने आया?
सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक, जल में मौजूद पीएच स्तर, घुलित ऑक्सीजन (DO), जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) और फेकल कोलीफॉर्म (FC) के मापदंडों में समय और स्थान के आधार पर भिन्नता देखी गई।
रिपोर्ट के अनुसार,
- घुलित ऑक्सीजन (DO) स्तर औसतन 8.7 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो मानक 5 मिलीग्राम प्रति लीटर से कहीं अधिक है।
- बीओडी का स्तर औसतन 2.56 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया, जो 3 मिलीग्राम प्रति लीटर की अधिकतम सीमा के अंदर है।
- फेकल कोलीफॉर्म (FC) औसतन 1,400 यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर था, जबकि इसकी स्वीकृत सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर है।
जल की शुद्धता पर विवाद भी हुआ
महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना के जल की शुद्धता को लेकर विवाद भी खड़ा हुआ। सीपीसीबी ने 3 फरवरी को एनजीटी को एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें गंगा-यमुना के पानी में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा निर्धारित मानकों से कई गुना अधिक बताई गई थी। इसके बाद 18 फरवरी को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने एक नई रिपोर्ट दी, जिसमें सीपीसीबी के निष्कर्षों को खारिज कर दिया गया।
एनजीटी ने इस विरोधाभासी रिपोर्टिंग पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और यूपीपीसीबी से नई ताज़ा रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।
आगे क्या?
अब एनजीटी द्वारा दोनों रिपोर्ट्स के आंकड़ों की गहन समीक्षा की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में जल गुणवत्ता की निगरानी और पारदर्शिता बेहद जरूरी है। हालांकि, सीपीसीबी की रिपोर्ट ने श्रद्धालुओं को यह आश्वस्त किया है कि स्नान जल सुरक्षित था, फिर भी विभिन्न एजेंसियों के बीच डेटा के विरोधाभास को लेकर सवाल उठ रहे हैं।