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अडाणी इंटरनेशनल स्कूल और ISSO आए साथ, स्कूलों में स्पोर्ट्स एजुकेशन को करेंगे मजबूत

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Posted On:Saturday, August 16, 2025

भारत में शिक्षा के क्षेत्र में लगातार नए आयाम जुड़ रहे हैं, लेकिन अब खेल शिक्षा को भी उतनी ही प्राथमिकता दी जा रही है, जितनी अकादमिक उपलब्धियों को दी जाती है। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अडाणी इंटरनेशनल स्कूल ने इंटरनेशनल स्कूल्स स्पोर्ट्स ऑर्गनाइजेशन (ISSO) के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्कूली खेलों को एक नई दिशा देने का निर्णय लिया है।

यह साझेदारी सिर्फ एक सहयोग नहीं, बल्कि एक नई सोच का प्रतिबिंब है—एक ऐसा दृष्टिकोण जो छात्रों को कक्षा और खेल के मैदान दोनों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।


क्या है ISSO?

ISSO (International Schools Sports Organization) की स्थापना 2017 में हुई थी और यह भारत का एकमात्र संगठन है जो विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय पाठ्यक्रम वाले स्कूलों में खेलों को बढ़ावा देता है।

इसमें IB (इंटरनेशनल बैकालोरिएट), कैम्ब्रिज, एडएक्सेल और अमेरिकी बोर्ड (NSBA) जैसे प्रतिष्ठित वैश्विक बोर्ड से संबद्ध 430 से अधिक स्कूल शामिल हैं। अब तक यह संगठन 22 खेल विधाओं में 300 से अधिक टूर्नामेंट्स आयोजित कर चुका है, जिसमें 22,000 से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया है।


अडाणी इंटरनेशनल स्कूल की भूमिका

इस साझेदारी को और सशक्त बनाने के लिए नम्रता अडाणी, जो अडाणी इंटरनेशनल स्कूल की प्रमोटर हैं, को ISSO के सलाहकार बोर्ड में शामिल किया गया है। उनका उद्देश्य ISSO के दृष्टिकोण और दीर्घकालिक लक्ष्यों को दिशा देना और उसे तेजी से साकार करना है।

नम्रता अडाणी ने इस पहल को एक सम्मान और ज़िम्मेदारी के रूप में देखा है। उन्होंने अपने बयान में कहा:

"भारत की शिक्षा और खेल व्यवस्था एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। इस सहयोग के माध्यम से हम ऐसे समावेशी और भविष्य के लिए तैयार संस्थान बनाना चाहते हैं, जहां स्टूडेंट्स कक्षा और खेल के मैदान दोनों में उत्कृष्टता हासिल करें।"


खेल शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा

अडाणी इंटरनेशनल स्कूल और ISSO मिलकर न केवल खेल सुविधाएं बढ़ाएंगे, बल्कि एथलीटों के प्रशिक्षण को भी वैश्विक मानकों के अनुसार विकसित करेंगे।

ISSO की निदेशक आकांक्षा थापक ने भी इस साझेदारी को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी:

"नम्रता अडाणी के नेतृत्व और दूरदर्शी सोच के साथ, यह सहयोग हमारे द्वारा बनाए गए खेल ढांचे को और मजबूत करेगा। हम मिलकर हजारों युवा एथलीटों को प्रेरित करने और खेलों में नई संभावनाएं तलाशने के लिए तत्पर हैं।"


क्यों है यह साझेदारी खास?

  • व्यवस्थित और पारदर्शी प्रतियोगिताएं: प्रतियोगिताओं का आयोजन प्रोफेशनल तरीके से किया जाएगा जिससे स्टूडेंट्स को निष्पक्ष और गुणवत्तापूर्ण अनुभव मिलेगा।

  • वैश्विक स्तर पर प्रोफाइलिंग: छात्रों की एथलीट प्रोफाइलिंग वैश्विक विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए सहायक होगी।

  • खेल और शिक्षा का संतुलन: यह पहल छात्रों को दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगी।

  • समग्र व्यक्तित्व विकास: केवल खेल प्रदर्शन ही नहीं, बल्कि अनुशासन, टीम वर्क, नेतृत्व जैसे जीवन कौशल भी विकसित होंगे।


ISSO से जुड़ने के क्या फायदे हैं?

ISSO का जुड़ाव राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से है, जैसे:

  • School Games Federation of India (SGFI)

  • Khelo India Games

  • Subroto Cup

  • International School Sport Federation (ISF)

इन संस्थाओं के माध्यम से स्टूडेंट्स को SGFI नेशनल्स से लेकर ISF वर्ल्ड चैंपियनशिप तक में हिस्सा लेने का अवसर मिलता है।

ISSO का विशेष विंग, IBSO (International Board Schools Sports Organization), छात्रों को उच्च स्तर की प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता है और उन्हें वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने में मदद करता है।


अडाणी इंटरनेशनल स्कूल: शिक्षा का नया दृष्टिकोण

अडाणी इंटरनेशनल स्कूल सिर्फ एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि एक प्रेरणा केंद्र है जहां शिक्षा को समग्र रूप में देखा जाता है। यह स्कूल आधुनिक तकनीक, अनुभव आधारित शिक्षण पद्धति और वैश्विक दृष्टिकोण के साथ छात्रों को न केवल बुद्धिमान, बल्कि जिम्मेदार और उद्देश्यपूर्ण नागरिक बनाने की दिशा में कार्यरत है।


निष्कर्ष: एक नई शुरुआत की ओर

भारत में खेल शिक्षा को लेकर यह साझेदारी एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह न केवल अंतरराष्ट्रीय स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को खेलों में आगे बढ़ने का अवसर देगी, बल्कि उनके समग्र विकास में भी सहायक होगी।

नम्रता अडाणी और ISSO के इस संयुक्त प्रयास से यह उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले वर्षों में भारत के अंतरराष्ट्रीय स्कूलों के छात्र शैक्षणिक और खेल दोनों क्षेत्रों में वैश्विक मंचों पर चमकेंगे

यह पहल न केवल छात्रों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी, बल्कि खेलों को शिक्षा के साथ बराबरी का दर्जा देने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।


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