जॉन अब्राहम स्टारर तेहरान, एक शार्प और रोमांच से भरी पोलिटिकल थ्रिलर है
तेहरान एक दमदार थ्रिलर है, जो आपको अंत तक बांधे रखेगी।
निर्देशक - अरुण गोपालन
कलाकार - जॉन अब्राहम, नीरू बाजवा, मानुषी छिल्लर, हादी खजानपुर
अवधि - 118 मिनट
बॉलीवुड अभिनेता जॉन अब्राहम की फिल्म "तेहरान" इस साल की एक खास थ्रिलर फिल्म है, जो राजनीति, जासूसी और देशभक्ति को एक साथपिरोती है। निर्देशक अरुण गोपालन ने इस फिल्म में 2012 के दिल्ली में हुए बम धमाके की सच्ची घटनाओं से प्रेरित एक कहानी बताई है, जो सिर्फएक्शन और ड्रामा तक सीमित नहीं है। यह फिल्म दर्शकों को एक जटिल और संवेदनशील राजनीतिक परिदृश्य में ले जाती है, जहां कोई चीज़बिल्कुल साफ-सुथरी नहीं होती।
फिल्म का मुख्य किरदार है DCP राजीव कुमार, जिसे जॉन अब्राहम ने बड़े ही दमदार और सूक्ष्म अंदाज में निभाया है। राजीव एक अनुभवी अधिकारीहै, जो दिल्ली में हुए आतंकवादी हमले की जांच करता है। यह हमला सिर्फ एक साधारण आतंकवादी घटना नहीं है, क्योंकि इसमें एक मासूम फूलबेचने वाली लड़की की जान चली जाती है, जिसे राजीव व्यक्तिगत रूप से जानता है। जॉन का अभिनय इस बार बेहद संवेदनशील और गंभीर है, जहांवे एक ऐसे इंसान की कहानी बताते हैं, जो अपने कर्तव्य के बीच व्यक्तिगत दर्द को भी सहन कर रहा है।
फिल्म में मानुषी छिल्लर और नीरू बाजवा ने भी अपनी भूमिकाओं को अच्छी तरह निभाया है। मानुषी की भूमिका सीमित है, लेकिन महत्वपूर्ण मोड़लाने वाली है। नीरू बाजवा एक कुशल राजनयिक के रूप में नजर आती हैं, जो अपनी समझदारी और मजबूती से कहानी में गंभीरता जोड़ती हैं। वहीं,हादी खानजानपुर द्वारा निभाया गया विलेन का किरदार फिल्म में एक अलग ही दबाव पैदा करता है, जो कहानी को और भी रोमांचक बनाता है।
"तेहरान" की कहानी अंतरराष्ट्रीय राजनीति के जटिल नेटवर्क के इर्द-गिर्द घूमती है। भारत, ईरान और इज़राइल के बीच के रिश्ते और उनकी छिपीनीतियां इस थ्रिलर की रीढ़ हैं। फिल्म किसी भी तरह की कड़वाहट या एकतरफा नजरिया नहीं अपनाती बल्कि हर किरदार और स्थिति को गहराई सेसमझाने की कोशिश करती है। यह राजनीतिक यथार्थवाद और इंसानी भावनाओं के बीच एक संतुलन बनाती है।
तकनीकी तौर पर फिल्म भी काफी मजबूत है। सिनेमैटोग्राफी में दिल्ली की हलचल भरी गलियों से लेकर विदेशी माहौल तक, हर जगह की खूबसूरतीऔर यथार्थवाद को खूबसूरती से कैद किया गया है। रंग और लाइटिंग की रणनीति फिल्म के तनावपूर्ण माहौल को और भी प्रभावशाली बनाती है।संगीत भी कहानी के मूड के मुताबिक है, जो जरूरी जगहों पर इमोशन और सस्पेंस को बढ़ाता है बिना ओवरडू किए।
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है इसका पटकथा और निर्देशन। पटकथा न तो ज्यादा भारी है और न ही कमज़ोर, बल्कि बेहद सूक्ष्मता से हर किरदार केदर्द और राजनीति के बीच संतुलन बनाए रखती है। निर्देशक अरुण गोपालन ने फिल्म को एक रियलिस्टिक टोन दिया है, जहां हर फैसला भारी लगताहै और हर कार्रवाई के पीछे एक बड़ी वजह होती है। यह फिल्म आपको सोचने पर मजबूर करती है कि जब देश की राजनीति और सुरक्षा के बीच फंसाइंसान क्या चुनता है।
अगर आप एक साधारण एक्शन फिल्म देखने की उम्मीद लेकर बैठते हैं तो "तेहरान" आपको कहीं न कहीं हैरान कर सकती है। यह फिल्म धीमी और गहराई वाली है, जो आपको राजनीतिक जटिलताओं के साथ साथ व्यक्तिगत संघर्षों के बारे में भी सोचने को मजबूर करती है। जॉन अब्राहम का यहनया अवतार और फिल्म की कहानी उन दर्शकों के लिए खास है जो गंभीर और सूझ-बूझ वाली फिल्मों को तरजीह देते हैं। कुल मिलाकर, "तेहरान" एक दमदार, सजीव और विचारोत्तेजक थ्रिलर है, जो आपको अंत तक बांधे रखेगी।