मुंबई, 01 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारत के विरोध के बाद थाईलैंड ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) की बैठक से अपनी राजदूत पिमचनोक वोंकोर्पोन पिटफील्ड को वापस बुला लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी जगह अब थाईलैंड के विदेश सचिव बैठक में शामिल होंगे। दरअसल, WTO में मंत्री स्तर का सम्मेलन UAE के अबु धाबी में चल रहा है। इसमें कृषि पर चर्चा के दौरान थाईलैंड ने आरोप लगाया कि भारत पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम (PDS) के लिए सब्सिडी पर अनाज खरीदकर उसे एक्सपोर्ट कर देता है। यह व्यापार नियमों के खिलाफ है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, थाईलैंड के इन आरोपों को अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया समेत कई विकसित देशों ने समर्थन भी किया। इसके बाद भारत ने विरोध में उन बैठकों को बॉयकॉट किया, जिनमें थाईलैंड मौजूद था। रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि भारत सरकार ने देश में मौजूद थाईलैंड के राजदूत के सामने भी मामले में विरोध जताया है। भारत की तरफ से बैठक में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने WTO चीफ नगोजी ओकोन्जो-इविआला, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के मंत्रियों के सामने विरोध भी जताया। गोयल ने कहा- भारत WTO में कनसेंसस बनाने में अहम भूमिका निभाता आया है लेकिन कुछ देश इसे तोड़ रहे हैं। भारत WTO के न्याय सिद्धांतों पर कायम है। हम चाहते हैं कि यहां लिए गए सभी फैसले भारत के किसानों और मछुआरों के हित में हों।
भारतीय अधिकारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, थाईलैंड की राजदूत की ओर से दिए गए तथ्य गलत हैं। भारत में चावल की जितनी पैदावार होती है, उसका 40% ही फूड सिक्योरिटी के लिए सब्सिडी पर दिया जाता है। बाकी का चावल, जिन्हें सरकारी एजेंसियां नहीं खरीदती हैं, उसे ही एक्सपोर्ट किया जाता है। बता दें कि WTO ने सब्सिडी को लेकर एक सीमा तय कर रखी है। दरअसल, WTO मानता है कि किसानों या स्थानीय उत्पादकों को सब्सिडी देना गलत है। इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर असर पड़ता है। WTO के सब्सिडी नियमों के मुताबिक, कोई भी विकासशील देश अपने यहां पैदा हुए चावल का कुल 10% ही सब्सिडी के तौर पर दे सकते हैं। विकसित देशों के लिए यह सीमा 5% है।