मुंबई, 29 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कनाडा के टोरंटो में खालसा दिवस और सिखों का नव वर्ष कार्यक्रम में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के संबोधन के दौरान खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए। ट्रूडो ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वे कनाडा में रह रहे 8 लाख सिखों के अधिकारों और स्वतंत्रता की हमेशा रक्षा करेंगे। सिख कनाडा की सबसे बड़ी ताकतों में से एक हैं। हम अपने मतभेदों के बावजूद एकजुट हैं। जब हम इस विविधता को देखते हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि सिख समुदाय के मूल्य ही कनाडा के मूल्य हैं। देश का सुरक्षा ढांचा और मजबूत कर रहे हैं। गुरुद्वारों समेत सभी पूजास्थलों की सुरक्षा बढ़ाई जा रही है। कोई भी व्यक्ति बिना किसी चिंता के कनाडा में अपने धर्म का पालन कर सकता है। मुझे पता है कि आप में से कई लोग भारत में मौजूद अपनों से ज्यादा बार मिलना चाहते हैं। यही कारण है कि हमारी सरकार ने भारत के साथ एक नए समझौते पर बातचीत की है। इससे दोनों देशों के बीच फ्लाइट्स की संख्या बढ़ाई जाएगी। हम अमृतसर समेत भारत के बाकी हिस्सों को कनाडा से जोड़ने के लिए फ्लाइट्स बढ़ाने पर काम कर रहे हैं।
तो वहीं, खालसा दिवस के कार्यक्रम में ट्रूडो के अलावा वहां की विपक्षी पार्टियों के नेता पियरे पॉलिवर और जगमीत सिंह भी मौजूद थे। उनके भाषण के दौरान भी खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए। भारत सरकार ने इस पर नाराजगी जताते हुए कनाडा के डिप्टी हाई कमिश्नर को विदेश मंत्रालय में तलब करके नाराजगी जाहिर की। विदेश मंत्रालय ने कहा, कनाडा के प्रधानमंत्री की मौजूदगी में खालिस्तान समर्थक नारे लगाए गए। इस तरह के कार्यक्रम को बेरोक-टोक करने की अनुमति दिया जाना चिंताजनक है। कनाडा में एक बार फिर अलगाववाद, उग्रवाद और हिंसा को राजनीतिक जगह दी गई है। यह गतिविधियां भारत-कनाडा संबंधों को प्रभावित करती हैं। साथ ही कनाडा में भारतीयों के साथ हिंसा के माहौल को बढ़ावा देती हैं। आपको बता दें, टोरंटो शहर में सिख समुदाय ने वैशाखी का पर्व (खालसा दिवस) मनाया। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। कार्यक्रम का आयोजन ओंटारियो सिख और गुरुद्वारा परिषद (OSGC) ने किया था। यह ग्रुप हर साल खालसा दिवस के मौके पर परेड का आयोजन करवाता है। परिषद का दावा है कि यह कनाडा की तीसरी सबसे बड़ी परेड है, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचते हैं।