मुंबई, 11 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। जापान के संगठन निहोन हिदांक्यो को इस साल शांति के लिए नोबेल प्राइज से नवाजा गया है। उन्हें यह सम्मान दुनिया में परमाणु हथियारों के खिलाफ मुहिम चलाने के लिए दिया गया है। इस संगठन में वे लोग शामिल हैं जो दूसरे विश्व युद्ध में हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले में जीवित बचे थे। इन्हें हिबाकुशा कहा जाता है।ये हिबाकुशा दुनिया भर में अपनी पीड़ा और दर्दनाक यादों को निहोन हिदांक्यो संगठन के जरिए साझा करते हैं। नोबेल कमेटी ने कहा कि एक दिन परमाणु हमले को झेलने वाले ये लोग हमारे पास नहीं रहेंगे, लेकिन जापान की नई पीढ़ी उनकी याद और अनुभवों को दुनिया के साथ साझा करती रहेगी और उन्हें याद दिलाती रहेगी कि परमाणु हथियार दुनिया के लिए कितने खतरनाक हैं।
निहोन हिदांक्यो संगठन की स्थापना 1956 में परमाणु और हाइड्रोजन बमों के खिलाफ हो रही दूसरी वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस के दौरान हुई थी। अमेरिका ने 1954 में हाइड्रोजन बम का टेस्ट किया था इसके विरोध में 1955 में वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई थी। 1945 में हुए परमाणु हमलों के लगभग 10 साल बाद भी पीड़ितों को अमेरिका की तरफ से कोई मदद नहीं मिली थी। अमेरिकी सेना ने पीड़ित लोगों पर परमाणु हमलों के बारे में कुछ भी बोलने और लिखने को लेकर रोक लगा रखी थी। संगठन ने अपनी स्थापना के बाद से हिबाकुशा (पीड़ित लोगों) के समूहों को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भेजा, जिससे दुनिया के लोगों को परमाणु हथियारों से होने वाले भयानक नुकसान और मानव पीड़ा के बारे में बताया जा सके। संगठन ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि दुनिया में कहीं भी और हिबाकुशा न बनाए जाएं, और दुनिया 'परमाणु हथियार-मुक्त' बन सके।